Cancer Vaccine Trial News: दुनिया की पहली कैंसर वैक्सीन का ट्रायल जल्द, जानें किस देश में हो रहा परीक्षण

विदेश, अमरिका

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे पहले 30 से ज्यादा अस्पतालों में मरीजों को वैक्सीन की खुराक दी जाएगी।

Trial of world first cancer vaccine News in hindi

Cancer Vaccine Trial News In Hindi: दुनिया की पहली कैंसर वैक्सीन का जल्द ही इंग्लैंड की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में हजारों लोगों पर परीक्षण किया जाएगा। अगर इस वैक्सीन का ट्रायल सफल रहा तो कैंसर मरीजों को नई जिंदगी मिलेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे पहले 30 से ज्यादा अस्पतालों में मरीजों को वैक्सीन की खुराक दी जाएगी।

वहीं इसके बाद इस वैक्सीन का परीक्षण अन्य देशों में भी किया जाएगा। त्वचा कैंसर के टीके का परीक्षण इंग्लैंड में भी किया जा रहा है। वैक्सीन का परीक्षण 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। पहले इसका टेस्ट इंग्लैंड के 30 से ज्यादा सेंटरों पर ही आयोजित किया जाएगा। फिर जर्मनी, बेल्जियम, स्पेन और स्वीडन में परीक्षण के लिए 200 से अधिक मरीजों को भर्ती किया जाएगा। उन्हें वैक्सीन की 15 खुराकें दी जाएंगी

कैंसर रोकने का काम करेगा ये टीका

यह टीका कोरोनारोधी टीके की तरह ही बीमारी के बाद ही दिया जाएगा। तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इस वैक्सीन को बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोएनटेक और जेनेटिक ने मिलकर विकसित किया है। ये टीके रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने, उन्हें नष्ट करने और उन्हें दोबारा फैलने से रोकते हैं। माना जा रहा है कि यह वैक्सीन फेफड़े, मूत्राशय और अग्न्याशय समेत कई तरह के कैंसर के खिलाफ प्रभावी हो सकती है। टीका बीमारी से पहले नहीं बल्कि बीमारी के बाद ही दिया जाएगा। रोगी की कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट उत्परिवर्तनों का अध्ययन करने के बाद, टीका प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में सक्षम बनाता है।

हर मरीज के लिए अलग-अलग वैक्सीन

मरीज की कैंसर कोशिकाओं का अध्ययन करने के बाद ही वैक्सीन विकसित की जाएगी। इसे हर मरीज के लिए अलग-अलग बनाया जाएगा। कैंसर कोशिकाओं में होने वाले बदलाव के मुताबिक ही वैक्सीन में बदलाव किए जाएंगे। इसे रक्त और कैंसर कोशिकाओं के नमूने लेकर तैयार किया जा सकता है। पहला टीका 55 वर्षीय इलियट फैबवे को लगाया गया, जो आंत के कैंसर से पीड़ित थे। ट्यूमर को हटाने के लिए फैबवे की सर्जरी की गई और कीमोथेरेपी के बाद, कैंसर कोशिका के नमूने जर्मनी में बायोएनटेक प्रयोगशाला में भेजे गए।

उनकी कोशिकाओं में बीस उत्परिवर्तन की पहचान की गई, जिसके बाद एक व्यक्तिगत टीका बनाया गया और यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बर्मिंघम में उन्हें दिया गया। वैक्सीन लेने के बाद से फैबेव को हल्का बुखार हो गया है। वैज्ञानिक अभी भी विभिन्न प्रकार के कैंसर टीकों का अध्ययन कर रहे हैं।

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