राहुल गांधी को सजा सुनाने वाले जज समेत 68 जजों के प्रमोशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 8 मई को होगी सुनवाई

Rozanaspokesman

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कथित तौर पर ‘योग्यता सह वरिष्ठता सिद्धांत’ का उल्लंघन करने के आधार पर पदोन्नति को चुनौती दी गयी है।

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New Delhi: गुजरात में 68 न्यायिक अधिकारियों के प्रमोशन को चुनौती देने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है.  प्रमोशन की लिस्ट में गुजरात के जज हरीश हसमुखभाई वर्मा का नाम भी है, जिन्होंने मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. बता दें कि याचिका पर उच्चतम न्यायालय आठ मई को सुनवाई करेगा।.

गुजरात के इन 68 जजों को 65 प्रतिशत कोटा सिस्टम के तहत पदोन्नति दी गई थी. कथित तौर पर ‘योग्यता सह वरिष्ठता सिद्धांत’ का उल्लंघन करने के आधार पर पदोन्नति को चुनौती दी गयी है।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने एक मई को वरिष्ठ दीवानी न्यायाधीश कैडर अधिकारियों रविकुमार मेहता और सचिन प्रतापराय मेहता की याचिका पर सुनवाई आठ मई को करना तय किया था।

गुजरात सरकार के विधिक विभाग में अवर सचिव के रूप में काम कर रहे रविकुमार मेहता और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में सहायक निदेशक सचिन मेहता ने 68 न्यायिक अधिकारियों का चयन जिला न्यायाधीशों के उच्च कैडर के लिए किये जाने को चुनौती दी है। सूरत के सीजेएम वर्मा भी इन 68 अधिकारियों में शामिल हैं। दोनों न्यायिक अधिकारियों की याचिका पर 13 अप्रैल को राज्य सरकार और गुजरात उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी करने वाले उच्चतम न्यायालय ने 68 अधिकारियों की पदोन्नति के लिए 18 अप्रैल को पारित राज्य सरकार के आदेश पर नाखुशी जताई थी।

शीर्ष अदालत ने अपने 28 अप्रैल के आदेश में कहा था, ‘‘बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रतिवादियों, विशेष रूप से राज्य सरकार को मौजूदा कार्यवाही की जानकारी है और इस तथ्य की भी जानकारी है कि मौजूदा कार्यवाही में इस अदालत ने नोटिस जारी कर 28 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है, उसके बावजूद राज्य सरकार ने 18 अप्रैल, 2023 यानी मौजूदा कार्यवाही में इस अदालत द्वारा जारी नोटिस पाने की तारीख के बाद पदोन्नति आदेश जारी किया है।’’

न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ने पदोन्नति आदेश में यह भी कहा है कि शीर्ष अदालत में लंबित कार्यवाही के परिणाम पर यह निर्भर करेगा। उसने कहा, ‘‘हमें यह जल्दबाजी समझ नहीं आई जिसमें राज्य सरकार ने पदोन्नति आदेश को मंजूरी दी और पारित किया...जबकि मामला इस अदालत के समक्ष है और नोटिस जारी करते समय विस्तृत आदेश दिया गया था।’’.

आदेश के अनुसार गौर करने वाली बात है कि चयन 2022 में हुआ और इस प्रकार पदोन्नति आदेश जारी करने की कोई अत्यंत आवश्यकता नहीं थी।

याचिका में कहा गया है कि भर्ती नियमों के अनुसार जिला न्यायाधीश के पद को योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत के आधार पर और उचित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 65 प्रतिशत आरक्षण को ध्यान में रखते हुए भरा जाता है। याचिका के अनुसार योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया और वरिष्ठता-सह-योग्यता के सिद्धांत पर भर्तियां की जा रही है।

दोनों न्यायिक अधिकारियों ने परीक्षा में 200 में से क्रमश: 135.5 और 148.5 अंक प्राप्त किये थे। उन्होंने कहा कि कम अंक वाले उम्मीदवारों को जिला न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। सीजेएम सूरत (वर्मा) ने 23 मार्च को राहुल गांधी को 2019 के एक आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराया था और दो साल कारावास की सजा सुनाई थी। मामला राहुल की ‘मोदी उपनाम’ वाली टिप्पणी से जुड़ा है।