Electoral Bond Case Update: चुनावी बांड का मुद्दा फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, फैसले पर पुनर्विचार की मांग

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15 फरवरी को  सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में केंद्र की विवादास्पद चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था।

issue of electoral bonds again reached the Supreme Court

Electoral Bond Case Update: उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस अदालत के 15 फरवरी के उस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया है, जिसमें मोदी सरकार की राजनीतिक चंदे की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया गया था।

वकील मैथ्यूज जे. नेदुम्पारा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया कि इस अदालत ने (योजना के खिलाफ) याचिका पर विचार किया और इस बात पर ध्यान दिए बिना ही कानून और योजना को रद्द कर दिया कि ऐसा करके वह संसद पर अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य कर रहा है। 

याचिका में कहा गया कि अदालत ने ऐसे मामले पर अपने विवेक का प्रयोग किया, जो विधायी और कार्यकारी नीति के विशिष्ट क्षेत्र में आता है। नेदुम्पारा ने अपनी याचिका में दावा किया कि न्यायालय इस बात पर ध्यान देने में विफल रहा कि जनता की राय इस मामले में अलग- अलग हो सकती है और इस देश के अधिकांश लोग संभवतः इस योजना के समर्थन में हो सकते हैं, जिसे उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा अस्तित्व में लाया गया है।

मामला 

गौरतलब है कि 15 फरवरी को  सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में केंद्र की विवादास्पद चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया. इस योजना के तहत राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से फंड दिया जा सकता है। इस योजना की घोषणा सरकार ने 2017 में की थी और 2018 में इसे वैध कर दिया गया। ये चुनावी बॉन्ड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में कुल चार बार जारी किए जा सकते हैं. कानून के मुताबिक, राजनीतिक दल यह बताने के लिए बाध्य नहीं थे कि उन्हें चंदा कहां से मिला।

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