सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार, राजीव गांधी हत्या का जाने पूरा मामला...

Rozanaspokesman

देश

राजीव गांधी हत्या के छह दोषियों की रिहाई के आदेश पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हैं .

The central government reached the Supreme Court, know the whole case of Rajiv Gandhi assassination...

राजीव गांधी की हत्या साल 1991 में की गयी थी .केंद्र सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों की समय - पूर्व रिहाई के आदेश पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हैं .

केंद्र सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि छह में से चार दोषी श्रीलंकाई थे . भारत के पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या के जघन्य अपराध के लिए इन्हें आतंकवादी बताकर दोषी ठहराया गया था . यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला था

केंद्र ने कहा कि वह इस मामले में एक आवश्यक पक्षकार रहा है , लेकिन उसकी दलीलें सुने बिना ही पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को रिहा करने का आदेश दे दिया गया . केंद्र की ओर से कहा गया है कि सरकार ने कथित प्रक्रियात्मक चूक को उजागर करने का काम किया.

मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार करने राजीव गांधी पहुंचे थे जहां उनकी हत्या कर दी गयी . एक आत्मघाती हमलावर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को धमाके में उड़ा दिया. मामले में सात लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी.

छह लोगों को रिहा करते हुए अदालत ने कहा था कि कैदियों के अच्छे व्यवहार को देखते हुए यह फैसला लिया गया . दोषी ठहराए एजी पेरारीवलन का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा था कि गिरफ्तारी के समय वह 19 साल का था और 30 साल से अधिक समय तक वह जेल में बिता चुका है, उसे 29 साल एकान्त कारावास में रखा गया.

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राजीव गांधी की पत्नी , जिन्होंने चार दोषियों की मौत की सजा को कम करने को कहा था . हालांकि कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस ने इसकी तीखी आलोचना की . कांग्रेस की ओर से कहा गया कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के बाकी हत्यारों को रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

यह पूरी तरह से गलत है कोर्ट का फैसला अपने के बाद कई लोगों ने इसका स्वागत किया . स्वागत करने वालों में डीएमके पार्टी भी शामिल थी डीएमके ने दोषियों की सजा को अनुचित माना था और इसे साजिश का हिस्सा बताया था ,1987 में भारतीय शांति सैनिकों को श्रीलंका भेजने के बाद राजीव गांधी की हत्या की गयी थी . हत्या को बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जाता है