'Animal' जैसी फिल्में समाज के लिए बीमारी, रणबीर के फिल्म में दिखाई गई हिंसा पर भड़की महिला सांसद

Rozanaspokesman

मनोरंजन, बॉलीवुड

फिल्म में क्राइम, वायलेंस, इंटीमेसी और महिलाओं का अपमान होते बिना किसी जस्टिफिकेशन के दिखाया गया है. 

Animal Movie News in Hindi Chattissgarh MP slams Ranbir Kapoor starrer film

 Chattissgarh MP slams Ranbir Kapoor starrer film Animal News in Hindi  :  संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म रणबीर कपूर, बॉबी देओल, अनिल कपूर, रश्मिका मंदाना और तृप्ती डिमरी स्टारर फिल्म जहां सिनेमाघरों में धूम मचा रही है. वहीं अब फिल्म विवादों में भी घिरती नजर आ रही है. फिल्म में लीड कैरेक्टर को जिस तरह से पर्दें पर उतारा गया है वह काफी डरावना सा लगता है. यह बात बताने की जरुरत नहीं  है कि फिल्म में क्राइम, वायलेंस, इंटीमेसी और महिलाओं का अपमान होते बिना किसी जस्टिफिकेशन के दिखाया गया है. 

ऐसे में फिल्म का विवादों में घिरना लाजमी है. वहीं फिल्म का मुद्दा गुरुवार को राज्यसभा में भी उठाया गया। जहां छत्तीसगढ़ की INC MP रंजीत रंजन ने बॉलीवूड से लेकर साउथ के कई फिल्मों और खासकर फिल्म एनिमल का उदहारण देते हुए अपनी राय रखी और कहा कि  एनिमल जैसी हमारे समाज और आज के युवा के लिए सही नहीं है. सेंसर बोर्ड इसे कैसे पास कर सकता है.

महिलाओं के साथ डिसरेस्पेक्ट को फिल्मों के द्वारा जस्टिफाई करना ठीक नही 

राज्यसभा में कांग्रेस की महिला सांसद रंजीत रंजन ने फिल्म एनिमल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हम सभी सिनेमा देखकर बड़े हुए है. यह हमारी लाइफ को काफी इंफ्लूएंस करता है. खासकर युवाओं का लाइफ में..., आजकल कुछ ऐसी पिक्चरें आ रही है, अगर आप कबीर से शुरू करें, पुष्पा से शुरू करें और अभी एक पिक्चर आई है एनिमल जो चल रही है... । मैं आपको कह नहीं पाउंगी कि मेरी बेटी के साथ बहुत सारी बच्चियां थीं, जो कॉलेज में पढ़ती हैं। वो आधी पिक्चर में उठके  रोकर चली गईं.  कि इतनी आखिर हिंसा, वायलेंस और महिलाओं के साथ डिसरेस्पेक्ट को फिल्मों के द्वारा जस्टिफाई करना ठीक नही है. मुझे लगता है कि फिल्म कबीर में जिस तरह से वो अपनी वाइफ को ट्रीट करता है और इस मूवी में भी जिस तरह से वो अपनी वाइफ को ट्रीट करता है और लोग, समाज और पिक्चर भी जिस तरह से उसे जस्टिफाई करता है.... यह बहुत ही सोचने वाली विषय है. 

नेगेटिव रोल को हिरो की तरह पेश करना गलत

रंजीत रंजन ने आगे कहा कि उपसभापति जी... बहुत सारे ऐसे उदाहरण है कि इन पिक्चरों का, इन वायलेंस का और गलत नेगेटिव रोल को हिरो की तरह पेश करने में हमारे आज के खासकर 11 वीं और12 के बच्चे इनको रोल मॉडल मानने लगे है. कई इस तरह की हिंसा जो हमें समाज में देखने को मिल रही है. वो इस तरह के पिक्चरों से ही प्रवाभित होते है.

 उच्चकोटि इतिहास को गैंगवार में जोड़ा

तीसरा उच्चकोटि का इतिहास है पंजाब का... हरि सिंह नल्वा का. फिल्म में गाना है फड़ के गंडासी मारी .... ये इतिहास को एक गैंगवार में, दो परिवारों की नफरत की लड़ाई में.. जिसका बेटा अपने बाप के प्यार के लिए मरता हुआ या .... वो भी जस्टिफाई नहीं कर पाई है पिक्चर और उसमें में सरेआम हॉस्टल मेे, कॉलेज में, बिल्डिंग्स में ब़ड़े-बड़े हथियार लेकर मारता है और कोई कानून, कोई लॉ एंड ऑर्डर उसे सजा नहीं देती। ये भी हम पिक्चर में जस्टिफाई कर रहे हैं.

धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाया

जहां तक अर्जन वैली का सवाल है... हिरी सिंह नल्वा  जो कमंडर इन चीफ थे सिख फोर्स के, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ, अंग्रेजों के खिलाफ, उनकी बढ़ती हुई सत्ता को रोकने के लिए लड़ाई लड़ी थी उनका बेटा अर्जन वैली, वो पाकिस्तान के गुजरात से जब पूरा इंडिया हमारा एक साथ था उन्होंने कई मुस्लमानों को बचाने का काम किया था 1947 में... इस उच्चकोटि के इतिहास को आप एक गैंगवार में , फिल्म के गाने के बैग्राउंड में दिखाके हमारी धार्मिक आस्था को भी बहुत ज्यादा दर्द महसूस करवाया है. 

आगे उन्होंने सदन में यह सवाल भी उठाया कि सेंसर बोर्ड ऐसी पिक्चरों को कैसे बढ़ावा दे सकता है. वो ऐसी पिक्चरों को कैसे पास कर सकता है. ये फिल्में हमारे समाज के लिए बीमारी है. ऐसी पिक्चरों को कोई भी स्थान हमारे समाज में नहीं होना चाहिए। 

गौरतलब है कि फिल्म फिलहाल सिनेमाघरों में चल रही है. फिल्म को हिट भी करार दिया जा चुका है. वहीं अब फिल्म को लेकर उठने लगे है. 

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