वेब सिरीज़ 'मछली' के कलाकार पहुचे पटना, बोले- "एक बार जरूर देखिए सभी इस सिरीज़ को"

Rozanaspokesman

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बिहार में बनी वो पहली वेब सिरीज़ है जिसे डिज़्नी हॉट स्टार पर दिखाया जा रहा है!

The actors of the web series 'Machli' reached Patna, said - "Everyone must watch this series once"

इन दिनों वेब सिरीज़ 'मछली'  की सुगंध बिहार में चारों तरफ़ फैल रही है। मछली  विशुद्ध रूप से बिहार में बनी वो पहली वेब सिरीज़ है जिसे डिज़्नी हॉट स्टार पर दिखाया जा रहा है! इस सिरीज़ में काम करने वाले सभी कलाकार बिहार और पटना रंगमंच से जुड़े हैं। सीमित संसाधनों के साथ बने इस सिरीज़ के निर्माण के दौरान इस बात का ख़ास ध्यान रखा गया कि इसके निर्माण की प्रक्रिया में केवल बिहार के स्थानीय लोगों का ही योगदान हो। मछली की ज़्यादातर शूटिंग मुज़फ़्फ़रपुर के कुढ़नी में स्थानीय निवासियों के सहयोग से सम्पन्न हुई है। 

मछली का निर्माण पाटलिपुत्र सिने क्राफ्ट के बैनर तले किया गया है और इसका सहनिर्माण रचयिता फिल्म्स ने किया है। अभी हाल ही में इस सिरीज़ ने राजस्थान के प्रतिष्ठित फ़िल्म फ़ेस्टिवल 'राजस्थान इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स' में सर्वश्रेष्ठ वेब सिरीज़ और अनिमेष वर्मा ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता है।

मछली एक अप्रवासी सीधे सादे लेकिन ईमानदार पुलिस ऑफ़िसर शशि की कहानी है जो अपने तबादले के बाद बिहार आता है और अपने पहले ही पुलिस ऑपरेशन के दौरान उसके हाथों कुछ ऐसे नवयुवकों की मौत हो जाती है जो दोषी थे ही नहीं! बल्कि पढ़े लिखे ऐसे बेरोज़गार थे जो सीमित संसाधनों में यहीं रहते हुए अपने आप को जीवित रखने की लड़ाई लड़ रहे थे जहाँ न नौकरी है, न उचित अवसर, न सही दिशा ।  कमज़ोर तंत्र में अपने सपनों के साथ जीने वाले ये युवा दरअसल बिहार के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जो तालाब की उन मछलियों की तरह हैं जो गंदे पानी में रहने को मजबूर हैं किंतु अपना तालाब उनसे छोड़े नहीं छूटता ! 

निर्देशक अनिमेष वर्मा ने बिहार के युवाओं की समस्या और उनके संघर्ष को बहुत संवेदनशीलता से दिखाने की कोशिश की है। मुख्य भूमिका निभा रहे चारों लड़कों का चित्रण करते समय उन्होंने ख़ास इस बात का ध्यान रखा है कि ये युवा गगन अभय, आसिफ़ और जोश बेचारे न लगें। उनका खिला चेहरा, उनका मस्त मौलापन बिहार का वो चेहरा है जो हज़ार मुसीबतों में भी मुस्कुराना नहीं छोड़ता। 

इन चारों किरदारों को आत्मसात करने वाले अभिनेता अर्पित मिश्रा, अमित ज़ैक, संदीप यादव और राहुल आर्यन आपको हँसाते भी हैं तो कई मौक़ों पर रुला भी देते हैं। 

अप्रवासी पुलिस ऑफिसर शशिकांत सहाय की भूमिका में राजवीर सिंह राजपूत सहज लगते हैं। उनके चेहरे पर चार मासूम युवकों की मौत का दुख निरंतर दिखाई देता है। अपनी सधी हुई गंभीर भूमिका में राजवीर ने स्मरणीय काम किया है। 

एक और मुख्य चरित्र है करीम ख़ान जिसे निभाया है राजेश राजा ने जो पटना रंगमंच के नामचीन अभिनेता हैं। ख़ान की भूमिका में राजेश ने बेहतरीन काम किया है। ख़ान के चरित्र में जितनी विविधता है राजेश ने उसे उतनी ही सहजता से निभाया है। इस भूमिका में उन्होंने जो छाप छोड़ी है वो दर्शकों को प्रभावित करती है। अन्य कलाकारों में अमरेन्द्र शर्मा , ईशा नारायण, तनु हाशमी, शशांक शेखर  हैं जिनके अभिनय में सच्चाई दिखती है। 

लगभग पूरे बिहार में जम कर प्रसन्नता बटोर रही इस सिरीज़ की चर्चा आज कल कई वजहों से है। मुज़फ़्फ़रपुर और उसके आस पास कुढ़नी, हाजीपुर और पटना में बनाई गई ये सिरीज़ बिहार के युवाओं की मुश्किलों और अपनी मजबूरी और कमियों से उनकी लड़ाई की कहानी है जिसे बड़ी ही गंभीरता से किंतु बड़े सहज तरीक़े से मुद्दा बनाया गया है। संभवतः इस विषय पर इतनी संवेदनशीलता पहली बार देखने को मिलती है। सीरीज़ को देखते हुए कई बार ये सवाल अंतर्मन में उठता है कि प्रवासन के मुद्दे पर आख़िर कोई कहानी इतने दिनों के बाद क्यों आयी जबकि पिछले तीस वर्षों से ये बिहार के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है। 

इस सिरीज़ के निर्माण से जुड़ी एक ख़ास और सराहनीय बात ये है कि इनसे काफ़ी सारे ऐसे लोग जुड़े जो पहले कभी व्यावसायिक रूप से इतने गंभीर सिरीज़ से नहीं जुड़े थे। एक तरीक़े से कईयों के लिए ये पहला मौक़ा था। ये तथ्य इस बात को साबित करता है  कि यदि अवसर पैदा किये जाएँ तो बड़े पैमाने पर बिहार में न केवल लोग इस उद्योग से जुड़ेंगे बल्कि उन्हें रोज़गार के मौके भी प्राप्त होंगे।  

सिरीज़ के निर्माता - निर्देशक अनिमेष ने उन्नीस सौ नवासी में अवसर की कमी के कारण ही बिहार छोड़ा था। बिहार से निकल कर उन्होंने पहले दिल्ली से स्कूली शिक्षा पूरी की और मुंबई से स्नातक किया। फिर पिछले तेईस वर्षों से वे मुंबई फ़िल्म उद्योग से जुड़े हैं जहाँ देवों के देव महादेव, सिया के राम , पृथ्वी वल्लभ और बालशिव जैसे प्रसिद्ध धारावाहिकों के माध्यम से निर्माता व निर्देशक के रूप में अपनी एक पहचान बनाई।

'मछली' वेब सिरीज़ के साथ ही इन्होंने बिहार में भी एक सफल पारी की शुरुआत कर दी है। ये सिरीज़ अनिमेष की पहली ऐसी सिरीज़ है जिसे न केवल उन्होंने लिखा और निर्देशित किया है बल्कि वही इसके निर्माता भी हैं। मछली की सफलता से उत्साहित अनिमेष जल्द ही अपनी नई सिरीज़ की शुरुआत करने जा रहे हैं जो मछली की तरह ही सत्य पर इससे कहीं ज़्यादा भव्य होगी जो एक बार फिर लोगों को सोचने पर मजबूर करेगी।  वे कहते हैं “कहानियों का काम केवल मनोरंजन नहीं होता... आवश्यक ये भी है कि वो कहानियाँ समाज को आईना दिखाएँ और सोचने पर मजबूर करे! मैं अपनी कहानियों के माध्यम से ये प्रयत्न जारी रखना चाहता हूँ। “