Fact Check: नहीं तोड़ा गया कोई मंदिर, मूर्ति को घसीटे जाने का ये मामला एक परंपरा का हिस्सा है

Rozanaspokesman

फेक्ट चैक

ये वायरल वीडियो 2021 का है और इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।

Fact Check Fake news spreading of demolishing hindu temple in rajasthan

RSFC (Team Mohali) - सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में पुलिसकर्मियों को एक मूर्ति को ट्रैक्टर से खींचते हुए देखा जा सकता है। अब दावा किया जा रहा है कि यह मामला राजस्थान से सामने आया है जहां भैरो भगवान के मंदिर को तोड़ दिया गया और वहां मौजूद मूर्ति को ट्रैक्टर से पूरे गांव में घसीटा गया। इस वीडियो को वायरल कर राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा जा रहा है।

X अकाउंट हम लोग We The People ने 19 सितंबर 2023 को वायरल वीडियो शेयर किया और लिखा, “वीडियो राजस्थान की बताई जा रही है जहां भैरों बाबा के मंदिर को तोड़कर मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटते हुए ले जाया जा रहा है...सवाल - क्या गहलोत सरकार द्वारा कभी किसी अवैध मजार या दरगाह को भी तोड़ा गया है?"

रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को फर्जी पाया है। ये वायरल वीडियो 2021 का है और इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।

स्पोक्समैन की पड़ताल

पड़ताल शुरू करते हुए हमने सबसे पहले इस वीडियो को ध्यान से देखा। हमने पाया कि वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मी चेहरे पर मास्क पहने हुए हैं। इससे साफ आशंका हुई कि मामला कोरोना काल से जुड़ा हो सकता है।

आगे बढ़ते हुए हमने कीवर्ड सर्च के जरिए वीडियो का मूल स्रोत ढूंढना शुरू किया। आपको बता दें कि यह वीडियो हमें कई पुरानी पोस्ट पर अपलोड हुआ मिला। फेसबुक यूजर "कुलदीप मीना आदिवासी" ने 21 मई 2021 को इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, "लोग भेरुजी के इकट्ठा हो रहे थे पुलिस भैरू जी को ही थाने उठा लाइ , अब भेरुजी की जमानत के लिए एक भी गांव वाला नहीं आ रहा"

जब हमने इस पोस्ट पर आए कमेंट्स को चेक किया तो पाया कि इस यूजर ने कमेंट में इस वीडियो को सिमलिया गांव बताया। आपको बता दें कि यह गांव राजस्थान के कोटा जिले के अंतर्गत सुल्तानपुर तहसील में आता है।

इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए हमने सिमलिया पुलिस स्टेशन संपर्क किया। हमारे साथ बात करते हुए स्टेशन हाउस ऑफिसर उम्मेद सिंह ने वायरल वीडियो की पुष्टि की और कहा, "यह वायरल वीडियो हाल का नहीं है, बल्कि 2021 का है जब हमने कोरोना दिशानिर्देशों के उल्लंघन के कारण घास भैरव जी की परंपरा खुद की थी। यह एक प्रचलित परंपरा है और इसे कोरोना काल भगाने एंव बारिश लाने के लिए किया जा रहा था, क्योंकि कोरोना दिशानिर्देशों का लोग उलंघन कर रहे थे, इसलिए हमने यह फैसला लिया और हमने यह परंपरा निभाई। यह वीडियो सिमलिया गांव का ही है।''

उम्मेद सिंह ने बताया कि पहले यह परंपरा  बैल आदि के माध्यम से की जाती थी और अब यह सवारी ट्रैक्टर के माध्यम से निकाली जाती है।

"घास भैरव जी की परंपरा"

घास भैरव जी की यह परंपरा प्राचीन है। यह परंपरा राजस्थान के लगभग हर गांव में मनाई जाती है। ऐसा तब किया जाता है जब बारिश न हो या बीमारी जैसा कोई संकट आ जाए। मान्यता है कि गांव के चारों ओर घास भैरव जी की परिक्रमा करने से वर्षा होती है और संकट टल जाता है।

अब हमने अंतिम चरण में यह खोजना शुरू किया कि क्या वायरल दावे जैसी कोई घटना राजस्थान में हुई है या नहीं। आपको बता दें कि दावे के मुताबिक हमें कोई खबर नहीं मिली है।

निष्कर्ष- रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को फर्जी पाया है। ये वायरल वीडियो 2021 का है और इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। यह एक प्राचीन परंपरा है जिसे तब निभाया जाता है जब बारिश न हो या कोई बीमारी जैसी आपदा आ जाए।