मरने का नाटक कर रहे हमास के लड़ाके? पढ़ें फैक्ट चेक रिपोर्ट

Rozanaspokesman

फेक्ट चैक

वायरल वीडियो का हालिया इजरायल-फिलिस्तीनी युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है।

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RSFC (Team Mohali)- इजराइल-फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें लोगों के ऊपर सफेद चादर बिछी देखी जा सकती  है और लोग मरने का नाटक कर रहे हैं। वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये हमास के लड़ाके हैं जो इजरायल को बदनाम करने के लिए मौत का ड्रामा कर रहे हैं।

फेसबुक यूजर  "Sapan Singh" ने वायरल वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "अलजजीरा ने कमाल की शूटिंग की है हमास का मुर्दा भी खुजली कर रहा है कैमरे की गर्मी के कारण...!"

रोज़ाना स्पोक्समैन ने वीडियो की जांच की तो पता चला कि ये वीडियो हाल का नहीं बल्कि 2013 का है जब मिस्र में एक प्रतीकात्मक प्रदर्शन हुआ था। वायरल वीडियो का हालिया इजरायल-फिलिस्तीनी युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है।

स्पोक्समैन की पड़ताल

पड़ताल शुरू करते हुए हमने सबसे पहले वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले और उन्हें कीवर्ड सर्च की मदद से गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें यह वीडियो यूट्यूब पर 2013 में अपलोड हुआ मिला। 28 अक्टूबर 2013 को, جريدة البلحده नाम के एक अकाउंट ने एक वीडियो अपलोड किया और शीर्षक लिखा, "عرض ترجمة بالجثامين إن جامعة الازحر" हिंदी अनुवाद (प्रतीकात्मक प्रदर्शन) अल-अजहर विश्वविद्यालय के अंदर शवों का चित्रण

वीडियो का शीर्षक और विवरण अरबी में लिखा गया था। विवरण का गूगल हिंदी अनुवाद, "अल-अजहर विश्वविद्यालय में मुस्लिम ब्रदरहुड के दर्जनों छात्रों ने कॉलेज प्रशासन भवन के सामने एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया, और अल-अजहर विश्वविद्यालय में ब्रदरहुड के छात्र लड़कियों और लड़कों के मार्च में एक साथ शामिल हुए, एक मार्च में, उनके बीच बैठक हुई अल-अजहर विश्वविद्यालय प्रेसीडेंसी भवन के बगल में मेडिसिन और इंजीनियरिंग संकाय भवन, छात्रों को एकजुट करने और पढ़ाई को बाधित करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर के चारों ओर भ्रमण करने के बाद, मार्च इंजीनियरिंग कॉलेज की ओर बढ़ गया।"

इसके मुताबिक, यह वीडियो अल अज़हर यूनिवर्सिटी में छात्रों के प्रतीकात्मक प्रदर्शन का है। अल अज़हर विश्वविद्यालय मिस्र में स्थित है।

साफ था कि इस वीडियो का हमास के लड़ाकों से कोई लेना-देना नहीं है।

निष्कर्ष- रोज़ाना स्पोक्समैन ने वीडियो की जांच की तो पता चला कि ये वीडियो हाल का नहीं बल्कि 2013 का है जब मिस्र में एक प्रतीकात्मक प्रदर्शन हुआ था। वायरल वीडियो का हालिया इजरायल-फिलिस्तीनी युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है।