जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व जन्म दोष दिवस, क्या है इसका इतिहास

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भारत में सालाना 1.7 मिलियन से अधिक बच्चे जन्म दोष के साथ पैदा होते हैं।

World Birth Defects Day, know its history news in hindi

World Birth Defects Day news in hindi: हर साल, दुनिया भर में 3-6% शिशु गंभीर जन्म दोष के साथ पैदा होते हैं, जबकि भारत में सालाना 1.7 मिलियन से अधिक बच्चे जन्म दोष के साथ पैदा होते हैं। जन्म दोषों में कटे होंठ या तालु जैसी शारीरिक विकृतियां और डाउन सिंड्रोम जैसी गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं, जन्मजात हृदय रोग या जन्मजात बहरापन जैसे दोष शामिल हैं।

ऐसे में इस परेशानी से लोगों को बचाने के लिए हर साल एक खास दिन पर लोगों को जागरूक किया जाता हैं। ताकि लोगों को इसकी गंभीरता के बारे में बताया जा सके। बता दें कि हर साल 3 मार्च को विश्व जन्म दोष दिवस मनाया जाता है। ऐसे में इस दिन परिवारों पर इसके प्रभाव और रोकथाम रणनीतियों के बारे में इस दिन खास तौर पर लोगों को जागरूक किया जाता हैं। यह दिन जन्म दोषों से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और समुदायों के बीच सहयोग के लिए मंच प्रदान करता है।

विश्व जन्म दोष दिवस का इतिहास

2015 में स्थापित विश्व जन्म दोष दिवस, 2010 विश्व स्वास्थ्य असेंबली संकल्प के बाद WHO-SEARO और CDC-USA द्वारा एक समग्र पहल से उत्पन्न हुआ। इसकी शुरुआत के बाद से, वैश्विक और राष्ट्रीय संगठन जागरूकता बढ़ाने और जन्म दोषों की निगरानी, ​​रोकथाम और उपचार के महत्व पर जोर देने के लिए हर साल 3 मार्च को एक साथ आते हैं। यह वार्षिक दिवस शिक्षा और कार्रवाई के माध्यम से सामान्य जन्म दोषों के सामाजिक प्रभाव से निपटने में सदस्य राज्यों का समर्थन करने के लिए WHO-SEARO की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

गौर हो कि कुछ जन्म दोषों का कारण जानना मुश्किल है, लेकिन टीकाकरण, फोलिक एसिड, आयोडीन का पर्याप्त सेवन, स्वस्थ जीवन शैली के उपायों का पालन करने और धूम्रपान और शराब से परहेज करके कई दोषों को रोका जा सकता है।

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