सरकार की नाकामी की वजह से लोगों को करना पड़ रहा है पलायन : प्रशांत किशोर

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

बिहार में अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "सरकार की नाकामी के वजह से बिहार बर्बाद हो रहा है।

People have to migrate due to the failure of the government: Prashant Kishor

पूर्वी चंपारण ,(संवाददाता) :  जन सुराज पदयात्रा के 69वें दिन की शुरुआत घोड़ासहन के राजवाड़ा स्थित जे एल एन एम कॉलेज परिसर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि अबतक पदयात्रा के माध्यम से वे लगभग 750 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इसमें 500 किमी से अधिक पश्चिम चंपारण में पदयात्रा हुई और पूर्वी चंपारण में अबतक 200 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं।

इस दौरान जमीन पर हुए अनुभवों और समस्यायों पर बात करते हुए उन्होंने शिक्षा, कृषि, स्वास्थ व स्वरोजगार जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी और लोगों की समस्यायों को भी सुन कर उसका संकलन करते जा रहे हैं।

बिहार में अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "सरकार की नाकामी के वजह से बिहार बर्बाद हो रहा है। आज बिहार के पैसों से गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उद्योग लगाया जा रहा है। बिहार के लोग उन राज्यों में जाकर मजदूरी कर रहे हैं, मतलब बिहार को दुगनी मार झेलनी पड़ रही है। राज्यों में पूंजी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बैंकों की है। हम और आप बैंकों में पैसे जमा करते हैं और बैंक लोगों को लोन देती है, ताकि रोजगार के अवसर पैदा हो सके।

देश के स्तर पर क्रेडिट डिपोजिट का आंकड़ा 70 प्रतिशत है, और बिहार में यह आंकड़ा पिछले 10 सालों से 25-40 प्रतिशत रहा है। लालू जी के जमाने में यह आंकड़ा 20 प्रतिशत से भी नीचे था। नीतीश जी के 17 साल के कार्यकाल में यह औसत 35 प्रतिशत है जो पिछले साल 40 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि बिहार में जो भी पैसा बैंकों में लोग जमा करा रहे हैं, उसका केवल 40% ही ऋण के तौर पर लोगों के लिए उपलब्ध है। जबकि विकसित राज्यों में 80 से 90 प्रतिशत तक बैंकों में जमा राशि ऋण के लिए उपलब्ध है। आगे उन्होंने कहा कि बिहार के नेता क्रेडिट-डिपोजिट पर बात ही नहीं करते।

बिहार के नेताओं को इन सब के बातों की जानकारी भी नहीं है। ये बिहार का दुर्भाग्य है कि यहां के आम लोग भी इन मुद्दों पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। पत्रकारों से मेरी गुजारिश है कि वह इन मुद्दों को बारीकी से उठाए ताकि इस पर पूरे बिहार में चर्चा हो सके।

बिहार के चुनाव में जातिगत राजनीति हावी रहती है, इस सवाल पर जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि हमने जातिगत राजनीति वाली मानसिकता को ज्यादा हवा दे दी है। मैं आपको ऐसे 5 चुनाव बता सकता हूं, जिसमें बिहार के लोगों ने जातिगत राजनीति से ऊपर उठ कर वोट किया है। 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु से उपजी हुई सहानुभूति के लहर में लोगों ने जातियों से ऊपर उठ कर वोट किया था। 1989 में बोफोर्स के मुद्दे पर देश में वीपी सिंह की सरकार बनी थी।

2014 में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर पूरे देश के लोगों ने भाजपा को वोट किया। 2019 में राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के नाम पर वोट किया। इतना ही नहीं पूरे बिहार के लोगों ने बीजेपी को फिर से सरकार बनाने का मौका दिया। इसलिए ये कहना गलत होगा कि बिहार के लोग केवल जातिगत आधार पर वोट करते हैं, चुनावों में जाति एक फैक्टर हो सकता है। लेकिन बिहार में भी ये उतना ही बड़ा फैक्टर है, जितना दूसरे राज्यों में है।