Bihar : जहरीली शराब से 11 की मौत, विधानसभा में आमने-सामने नीतीश और भाजपा

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध है। नीतीश कुमार की सरकार ने अप्रैल 2016 में बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

Bihar: 11 killed due to spurious liquor, Nitish and BJP face to face in assembly

पटना : बिहार के सारण जिले में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से छह से कम से कम छह लोगों की मौत को लेकर बुधवार को विधानसभा के अंदर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच तीखी बहस देखने को मिली। सारण जिले के पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार के अनुसार इसुआपुर और मशरक थाना क्षेत्र में मंगलवार की रात जहरीली शराब पीने से तीन-तीन लोगों की मौत हो गई।

उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से फोन पर कहा, “हमने छह शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट में मौत के कारणों का पता चलेगा। स्थानीय ग्रामीणों का दावा है कि जिन लोगों की मौत हुई है, उन्होंने शराब का सेवन किया था।” उन्होंने कहा, “छह और लोग जो बीमार हुए, उनका अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है। हम उनके बयान दर्ज करने की कोशिश कर रहे हैं।”

उल्लेखनीय है कि बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध है। नीतीश कुमार की सरकार ने अप्रैल 2016 में बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि यह (प्रतिबंध) पेचीदा रहा है।

भाजपा विधायकों ने विधानसभा के अंदर हंगामा किया। इस दौरान उनमें से कई ने सरकार पर अवैध शराब की बिक्री को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। भाजपा विधायकों ने सारण की घटना में जान गंवाने वालों के परिवार के सदस्यों को मुआवजा देने की मांग की।

मुख्यमंत्री कुमार गुस्से में अपनी कुर्सी से उठकर भाजपा विधायकों की ओर उंगली उठाते हुए कुछ कहते देखे गए।

हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को पूर्वाह्न 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के शुरुआती आधे घंटे के अंदर ही 15 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा। भाजपा सदस्यों ने मुख्यमंत्री से माफी की मांग की, जो उस समय अपनी कुर्सी पर नहीं थे। भाजपा विधायक शून्यकाल शुरू होने पर सदन से बहिर्गमन कर गए।

सदन के बाहर, नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, “मुख्यमंत्री को हमारी (भाजपा) वजह से वर्तमान कार्यकाल मिला था, लेकिन उन्होंने हमें धोखा दिया और उनमें (राजद में) शामिल हो गए, जिन पर वह जंगल राज का आरोप लगा रहे थे। उनकी संगति में रहकर उन्होंने उनके तौर-तरीके अपना लिए हैं। यह सदन के पटल पर हमारे खिलाफ इस्तेमाल की गई डराने-धमकाने वाली व अपमानजनक भाषा से जाहिर होता है।”

हालांकि, राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, “भाजपा सदस्यों को यह समझना चाहिए कि बिहार में शराब का सेवन करना एक अपराध है और इससे होने वाली मौतों की भरपाई नहीं की जा सकती। यह शराब के सेवन को अपना समर्थन देने के समान होगा।”

राज्य के मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने भाजपा के इस आरोप पर आपत्ति जताई कि शराब बंदी का उल्लंघन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उल्लंघन करने वालों को सरकार का “संरक्षण” प्राप्त है।

मंत्री ने कहा, “जब भाजपा हमारी सहयोगी थी, तो उनके नेताओं ने कभी ऐसा आरोप नहीं लगाया। उन्हें याद रखना चाहिए कि आईपीसी और सीआरपीसी के तहत दंडनीय अपराध बंद नहीं हुए हैं, भले ही ये संहिता ब्रिटिश राज के बाद से मौजूद हैं।” इस बीच, राजद विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाने वाली भाजपा को “इस मामले पर शोर मचाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”

लेकिन उन्होंने इस विचार का समर्थन किया कि बिहार में शराबबंदी “पूरी तरह विफल” रही।

सिंह ने कहा, “मामले की जांच उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित एक जांच आयोग द्वारा की जानी चाहिए। लगभग हर दिन सैकड़ों लोग शराब का सेवन करने के आरोप में गिरफ्तार हो जाते हैं। अगर सत्ता में बैठे लोग किसी तरह से शामिल नहीं हैं तो इतने सारे लोगों के लिए शराब कैसे उपलब्ध है?”