Supreme Court: अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ नहीं कर सकतीं सरकारें, आपको अधिकार नहीं; अनुच्छेद 341 पर SC सख्त

राष्ट्रीय, बिहार

संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत सूची में शामिल अनुसूचित जातियों के सदस्यों को वंचित करना गंभीर मुद्दा है। 

Governments Have No Authority To Tinker with the list of Scheduled Castes: Supreme Court on Article 341

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार सरकार के जुलाई, 2015 को पारित उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें कहा था कि अत्यंत पिछड़ी जाति तांती-तंतवा को अनुसूचित जातियों की सूची में पान/सवासी जाति के साथ शामिल किया जाए। शीर्ष को र्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, संसद के बनाए कानून के अलावा राज्यों या केंद्र सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने की कोई क्षमता, अधिकार या शक्ति नहीं है। 

पीठ ने कहा, यह स्पष्ट रूप से अवैध और गलत है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, इस मामले में राज्य की कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण और सांविधानिक प्रावधानों के विरुद्ध है।

राज्य को इस शरारत के लिए माफ नहीं किया जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत सूची में शामिल अनुसूचित जातियों के सदस्यों को वंचित करना गंभीर मुद्दा है। 

अनुच्छेद 341 का हवाला देते हुए पीठ ने कहा, अनुच्छेद व विशेष रूप से उप-खंड-2 को सरलता से पढ़ने से दो बातें स्पष्ट हैं। पहली, खंड-1 में अधिसूचना के तहत निर्दिष्ट सूची सिर्फ संसद से बनाए कानून के जरिये ही संशोधित या परिवर्तित की जा सकती है। दूसरी, संसद से बने कानून के अलावा उप-खंड-1 के तहत जारी अधिसूचना किसी भी बाद की अधिसूचना के जरिए बदली नहीं जा सकती। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, साफ है कि न तो केंद्र और न ही राष्ट्रपति, राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के संबंध में जातियों को निर्दिष्ट करने वाली खंड-1 के अंतर्गत जारी अधिसूचना में कोई संशोधन या परिवर्तन कर सकते हैं। 

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के फैसले को मान लिया था

पीठ ने कहा, किसी जाति, नस्ल या जनजाति को शामिल करने या बाहर करने के लिए संसद से बनाए कानून के तहत ही काम करना होगा। कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के तीन अप्रैल, 2017 के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील स्वीकार कर ली, जिसमें 2015 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी थी।

एससी पदों का कोटा वापसी के निर्देश: शीर्ष कोर्ट ने कहा, कोई भी व्यक्ति जो इस सूची के अंतर्गत नहीं आता और इसके योग्य नहीं है, अगर राज्य द्वारा जानबूझकर उसे इस तरह लाभ दिया जाता है, तो वह अनुसूचित जातियों के सदस्यों के लाभ को नहीं. छीन सकता।

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