बिहार आर्ट थिएटर के संस्थापक अनिल कुमार मुखर्जी की जयंती पर आयोजित नाट्योत्सव में दुर्गा भाभी नाटक का हुआ मंचन

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

वीरता की गाथा को सुनाने वाले डायलॉग ने जमकर दर्शकों की तालिया बटोरी।

Durga Bhabhi play staged in the Natyaotsav

Patna: दिल्ली के अक्षयवर श्रीवास्तव के निदेशन मे दर्शकों की मांग पर फिर  "आजादी की दीवानी दुर्गा भाभी" नाटक का मंचन रवीन्द्र भवन मे किया गया. मौका था बिहार आर्ट थिएटर के संस्थापक अनिल कुमार मुखर्जी की शताब्दी जयंती पर आयोजित नाट्योत्सव का और संस्था थी दिल्ली की XIII स्कूल ऑफ टैलेंट डेवलपमेंट.

पूर्व सांसद रवीन्द्र किशोर सिन्हा, किरण घई , बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ  और बिहार संगीत नाटक अकादेमी के पूर्व उपाध्यक्ष कुमार अनुपम ने इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया.  इसके अलावा डीजी आलोक राज ने भी नाटक का मंचन देखा। तीसरे दिन के कार्यक्रम में भी भारत में, चीन में और जापान में त्रिनिनाद एवं टोबैगो के राजदूत श्री चंद्रदत सिंह एवं भोजपुरी, हिंदी औरअंग्रेजी फिल्मों की प्रोड्यूसर श्रीमती अनिता चंद्रदत सिंह ने भी एक बार फिर से नाटक का मंचन देखा।

इस अवसर पूर्व सांसद आर के सिन्हा ने कहा की आजादी के लड़ाई में कई ऐसी महान हस्तियों ने बलिदान तो दिया है पर उनके बहादुरी के किस्से से हम सभी अनजान है। ऐसी ही सच्ची घटना पर आधारित है नाटक दुर्गा भाभी। मेरा हमेशा से ऐसा प्रयास है कि इस तरह के माध्यम से हम सभी को उनकी बहादुरी के बारे में बताए तभी हम उन जैसे सच्चे देशभक्त को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे।

दूसरे दिन भी नाटक दुर्गा भाभी ने दर्शकों का मन मोह लिया । अपने उत्कृष्ट संवादों और जानदार अभिनय का दर्शकों ने खूब प्रशंशा की। वीरता की गाथा को सुनाने वाले डायलॉग ने जमकर दर्शकों की तालिया बटोरी।

नाटक शुरू होते ही 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन मे होते पुलिसिया जुल्म और क्रांतिकारियों के संघर्ष की दुनिया मे ले जाती है. एक ज़ज़ की बेटी दुर्गावती का बचपन उसकी एक क्रांतिकारी से विवाह फिर शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद राजगुरु आदि क्रांतिकारियों के बीच खतरों से खेलने के दृश्य सामने आते हैं. क्रांतिकारियों को  हथियार और सुरक्षा उपलब्ध कराने वाली दुर्गा भाभी के रूप मे तनु पाल कई दृश्यों मे श्रेष्ठ अभिनय करती नजर आती है।

भगत सिंह, लाला लाजपत राय के साथ सुखदेव की भूमिकाओं में शिवम सिंघल, प्रमोद सिसोदिया और केशव साधना ने अपने किरदार को बख़ूबी स्थापित किया. राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त समेत विभिन्न क्रांतिकारियों की भूमिकाओं मे राजीव वैद, रितिका यदुवंशी, निखिल झा, कल्याणी मिश्रा, अनिरुद्ध शर्मा, जतिन शर्मा, मनु वर्मा, नेहा पाल, श्रेयस अग्निहोत्री, साक्षी देशवाल, ऋषभ सहगल, नीरज शर्मा,इमप्रीत सिंह, शौर्य केसरवानी, राहुल,  आदित श्रीवास्तव समेत सभी रंगकर्मियों ने अपनी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय कर नाटक का सफल मंचन किया ।