भारत के 26 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण को देना होगा बढ़ावा: विशेषज्ञ

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

भारतीय आबादी की उम्र तेजी से बढ़ रही है।

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पटना: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेल्दी एजिंग को परिभाषित करते हुए कहा है कि ‘इस तरह की फंक्शनल एबिलिटी को डेवलप और मैंटेन करना, जिससे बड़ी उम्र में भी बेहतर जीवन सुनिश्चित हो सके।’ डब्ल्यूएचओ ने अपनी ‘डेकेड ऑफ हेल्दी एजिंग- बेसलाइन रिपोर्ट-2020’ में हेल्दी एजिंग के लिए वयस्कों के टीकाकरण को महत्वपूर्ण रणनीतियों में शुमार किया है।

पटना स्थित डायबिटीज एंड ओबेसिटी केयर सेंटर के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष कुमार ने कहा, 50 साल या इससे ज्यादा उम्र के वयस्कों के लिए मेरी सलाह यही है कि उन्हें शिंगल्स, इन्फ्लूएंजा और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए टीका लगवाना चाहिए। बढ़ती उम्र के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने से शिंगल्स जैसे संक्रमण का खतरा बढ़ता जाता है। इनसे न केवल उन्हें गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बल्कि अन्य लोगों पर उनकी निर्भरता भी बढ़ जाती है। हर महीने मेरे पास 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के 200 मरीज आते हैं और मैं उन सभी को सुझाव देता हूं कि अपने अनुरूप उपलब्ध टीके अवश्य लगवाएं। अभी भारत में वयस्कों के टीकाकरण को लेकर जागरूकता बहुत कम है। सभी चिकित्सकों की जिम्मेदारी है कि अपने पास आने वाले बड़ी उम्र के मरीजों को बताएं कि कैसे टीकाकरण उन्हें कई तरह के संक्रमणों से बचा सकता है। कोविड-19 महामारी ने हमें दिखाया है कि कैसे संक्रामक बीमारियां बहुत घातक सिद्ध हो सकती हैं, विशेषरूप से बुजुर्गों के लिए। इसलिए अब समय आ गया है कि वयस्कों के टीकाकरण को प्राथमिकता में लाया जाए।’

भारतीय आबादी की उम्र तेजी से बढ़ रही है। 2020 में 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 26 करोड़ थी, जो 2036 तक 40.4 करोड़ पर पहुंच जाने का अनुमान है , जो उस समय की कुल अनुमानित जनसंख्या के 27 प्रतिशत के बराबर होगी। बढ़ती उम्र के साथ शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति कमजोर होती है, जिससे बड़ी उम्र के लोगों में न्यूमोनिया, इन्फ्लूएंजा और शिंगल्स जैसे संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। शिंगल्स एक वायरल बीमारी है, जो बड़ी उम्र के लोगों की जिंदगी को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है।  इस बीमारी के कारण बहुत दर्दनाक रैश हो जाते हैं। शिंगल्स के कारण होने वाले दर्द की तुलना प्रसव पीड़ा से की जाती है। कई लोगों में रैश ठीक हो जाने के बाद भी नर्व पेन बना रहता है और इससे उनके लिए दैनिक गतिविधियां मुश्किल हो जाती हैं और लोगों पर उनकी निर्भरता बढ़ जाती है।

भारत में बीमारियों के कुल दबाव में से आधे से ज्यादा गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे कार्डियोवस्कुलर डिजीज, क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज और डायबिटीज के कारण है।  इस तरह के रोगों से जूझ रहे बड़ी उम्र के लोगों में वीपीडी की चपेट में आने का खतरा ज्यादा रहता है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में पाया गया था कि भारत में वीपीडी के कारण जितनी मौतें होती हैं, उनमें से 95 प्रतिशत वयस्क होते हैं।  ये बीमारियां केवल परेशान करने वाली ही नहीं होती हैं, बल्कि इनके कारण एनसीडी के लक्षण गंभीर होने और अस्पताल में भर्ती होने के मामले भी बढ़ जाते हैं। हाल के अध्ययनों में सामने आया है कि शिंगल्स का संक्रमण स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देता है, विशेष रूप से संक्रमण होने के कुछ महीने के भीतर।  यह ध्यान देने की बात है कि शिंगल्स ऐसी बीमारी है, जिससे टीके द्वारा बचना संभव है।

टीकाकरण ने चेचक और पोलियो जैसे संक्रमणों का उन्मूलन करते हुए लाखों जिंदगियां बचाई हैं। सभी बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करने से बहुत उल्लेखनीय नतीजे मिले हैं। अब समय की जरूरत है कि वयस्कों के टीकाकरण को प्राथमिकता में लाया जाए, जिससे ज्यादा जिंदगियां बचाई जा सकें और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो। इन कदमों से व्यक्तिगत स्तर पर, परिवार पर और देश पर बीमारियों के कारण पड़ने वाला आर्थिक दबाव भी कम होगा।