बिहार जाली नोट मामला: NIA अदालत ने मुख्य आरोपी को पांच साल के कठोर कारावास की सुनाई सजा

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

अंसारी फर्जी नोट की खेप लेकर नेपाल में डिलीवरी के लिए भारत-नेपाल सीमा के निकट रक्सौल (पूर्वी चंपारण) लेकर जा रहा था।

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New Delhi: बिहार की एक विशेष एनआईए अदालत ने पूर्वी चंपारण जाली नोट मामले के एक मुख्य आरोपी को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के मोहनपुर गांव निवासी रईसुद्दीन पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के एक प्रवक्ता ने कहा कि अदालत ने 18 अगस्त को 2015 के (पूर्वी चंपारण जाली मुद्रा) मामले में उसे दोषी करार दिया था और उसे शनिवार को सजा सुनाई गई।

अधिकारी ने कहा कि उसे भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई जबकि पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया । रईसुद्दीन पूर्वी चंपारण जाली भारतीय नोट (एफआईसीएन) से संबंधित मामले में दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने वाला पांचवां अपराधी है । राजस्व खुफिया निदेशालय पटना ने एक अन्य आरोपी अफरोज अंसारी के पास से 5.94 लाख रुपये के जाली नोट बरामद किये थे। इसके बाद निदेशालय ने 19 सितंबर 2015 को इस संबंध में मामला दर्ज किया था।

अंसारी फर्जी नोट की खेप लेकर नेपाल में डिलीवरी के लिए भारत-नेपाल सीमा के निकट रक्सौल (पूर्वी चंपारण) लेकर जा रहा था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बाद में मामले को अपने हाथ में ले लिया और 23 दिसंबर, 2015 को इस मामले को दोबारा दर्ज किया ।

अधिकारी ने कहा, ‘‘एनआईए की गहन जांच से पिछले आठ वर्षों में आठ आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और आरोप पत्र दायर किया गया।’’ उन्होंने बताया कि इनमें से चार आरोपियों - अफरोज अंसारी, सनी कुमार उर्फ ​​सनी शॉ उर्फ सुजीत कुमार उर्फ कबीर खान, अशरफुल आलम उर्फ इशराफुल आलम और आलमगीर शेख उर्फ राजू को विशेष एनआईए अदालत ने 11 अक्टूबर, 2018 को दोषी ठहराया था।.

अधिकारी ने बताया कि इन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और प्रत्येक पर 30,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया । उन्होंने बताया कि शेष तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही जारी है।.