महिला आरक्षण बिल- एक और जुमला:कांग्रेस

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

यह तो स्पष्ट है कि 2024 आम चुनाव के पहले तो इसका लागू होना असंभव है

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पटना: बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता एवं रिसर्च विभाग के चेयरमैन आनन्द माधव ने एक बयान जारी कर कहा है कि महिला आरक्षण बिल जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहा गया है वह महिलाओं के साथ किया गया एक मज़ाक़ है। यह महिलाओं के साथ एक छलावा के अलावे और कुछ नहीं है। बिल के मसौदे के अनुसार इसे पारित होने के बाद जनगणना होगा फिर संसदीय चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन तब ही इसे लागू किया जाएगा। यह तो स्पष्ट है कि 2024 आम चुनाव के पहले तो इसका लागू होना असंभव है। शायद भाजपा को लगा होगा कि इस बिल के भरोसे 2024 एवं 2029 दोनों चुनावों में उनकी नैया पार लग जायेगी। अन्यथा 9 वर्षों तक इन्हें महिला बिल की याद क्यों नहीं आई। लेकिन भारत की महिलायें इतनी बेवकूफ नहीं है, वह भली भाँति इस बात को समझ रही है कि उन्हें ठगा गया है। 

भाजपा को शायद यह भी लगा होगा कि इंडिया गठबंधन के लोग इसका विरोध करेंगे, लेकिन वह भूल गये कि कांग्रेस पार्टी ने ही यह बिल लाया था तथा राज्य सभा से पारित भी कराया था। महिला आरक्षण स्वर्गीय राजीव गांधी जी का सपना रहा जिसके प्रति प्रतिबद्धता कांग्रेस के नेताओं ने बार बार दुहराया है चाहे वह सोनिया गाँधी हो या राहुल गाँधी। सोनिया जी ने इस बिल को अपना बिल कहा। इंडिया गठबंधन के तमाम दलों ने इसके प्रति अपना समर्थन जारी किया। हाँ संशोधन की बात अवश्य की जिससे की इसमें ओबीसी की महिलाओं को उचित हिस्सेदारी मिल सके।

सच तो यह है कि आनन फ़ानन में संसद का विशेष सत्र बुला कर महिला आरक्षण बिल के नाम पर भाजपा सरकार लोगों को भटकाना चाहती है। यह बात भी सोचने लायक़ कि अगर 2021 में ही जनगणना होनी थी तो अब तक क्यों नहीं हुई? शायद जातिगत जनगणना की माँग को देखते हुए डर गये। श्री आनन्द ने कहा कि महिला बिल का नाम लोकलुभावन रख देने मात्र से सब सही नहीं हो जाता, दिल साफ़ होना चाहिये। भाजपा सरकार अगर चाहती तो इसे तुरंत प्रभाव से लागू कर सकती थी, लेकिन अपने प्रोपेगेंडा के लिये शायद इसमें भी सरकार कोई बहाना ढूँढ रही है, जबकि इंडिया गठबंधन इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने की बात कर रही है।