महिला विरोधी पार्टी है भाजपा: राजीव रंजन

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

जदयू नेता ने कहा कि यह घटनाएं दिखाती है कि भाजपा के लिए बेटी बचाओ का नारा सिर्फ जुमला है.

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पटना: भाजपा पर निशाना साधते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज उसे महिला विरोधी पार्टी करार दिया. उन्होंने कहा कि चंद नेताओं के चंगुल में फंसी बिहार भाजपा में महिलाओं की कोई कद्र नहीं है. इनकी पार्टी में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ दिखावे के लिए होती है. न तो उन्हें यथोचित महत्व दिया जाता है और न ही सत्ता में रहने पर हिस्सेदारी दी गई. याद करें तो वर्षों तक बिहार की सत्ता में रहने के बाद भी इन्होने किसी भी महिला को कोई मंत्रीपद नहीं दिया. आखरी वर्षों में केंद्र के दबाव डालने पर एक महिला नेत्री को उपमुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन उन्हें भी मनमुताबिक काम करने की आजादी नही दी गई. 
  

उन्होंने कहा कि इनका महिला विरोधी रवैया सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश भर इनका यही हाल है. इनके शासित राज्यों में तो महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही. मणिपुर में महिलाओं की खुलेआम रौंदी जा रही अस्मत और उन्हें निर्वस्त्र करके घुमाया जाना भाजपा सरकार के इसी निकम्मेपन का नतीजा है. ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा को महिलाओं के दुःख दर्द से कोई मतलब ही नहीं रहा.  

अन्य उदहारण देते हुए जदयू महासचिव ने कहा कि गोधरा दंगों के समय बिलकिस बानो नाम की महिला के साथ हुए दुराचार किया गया था. लेकिन भाजपा की कृपा से ऐसा जघन्य कृत्य करने वाले आज वहां आजाद घूम रहे हैं. रिहाई मिलने के बाद उन्हें वहां सम्मानित कर के बिलकिस बानो और उन जैसी पीड़ित महिलाओं के जख्मों पर नमक रगड़ने का काम भी किया गया. इसके अलावा अभी हाल में ही दिल्ली में नामचीन महिला खिलाड़ियों को यौन शोषण के आरोपी के खिलाफ एक अदद केस दर्ज करवाने तक के लिए धरने पर बैठना पड़ा था. अभी भी आरोपी जेल से बाहर है. इन्हीं के राज में हाथरस में एक दलित बच्ची का बलात्कार कर हत्या कर दिया गया था और इनकी पुलिस ने अपराधियों को बचाने के लिए रातोंरात उसके शव को जलवा दिया था. आज भी यह लोग न्याय का इंतजार कर रहे हैं.   

जदयू नेता ने कहा कि यह घटनाएं दिखाती है कि भाजपा के लिए बेटी बचाओ का नारा सिर्फ जुमला है. यह लोग महिलाओं को सिर्फ वोटबैंक समझते हैं. वास्तव में इन्हें न तो महिलाओं के सम्मान से कोई मतलब है और न ही उन्हें न्याय दिलवाने से.