'लंबित मामले बीमारी है, जिसके लिए मुख्य रूप से सरकार जिम्मेदा', पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

हाई कोर्ट ने यह  टिप्पणियां पंजाब में विभिन्न सरकारी विभागों के खिलाफ 37 याचिकाओं पर  सुनवाई करते हुए की गईं, ...

'Pending cases are disease for which the government is primarily responsible', Punjab and Haryana High Court's

Punjab and Haryana High Court News: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों में विचाराधीन अधिकतर केस में खासकर हाई कोर्ट स्तर पर केंद्र व राज्य सरकार सबसे बड़े वादी है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा, " हाई कोर्ट में लंबित मामले एक ऐसी बीमारी है, जिसके लिए सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। यह कोर्ट इस पहलू को नजरअंदाज नहीं करेगा कि जिन मामलों में एकपक्षीय स्थगन आदेश पारित किए गए हैं, उनमें भी बार-बार स्थगन मांग कर जवाब दाखिल करने की प्रक्रिया में देरी की जाती है। यहां तक कि अंतरिम स्थगन आदेश भी कई वर्षों तक लागू रहे, जिससे राज्य का राजस्व प्रभावित हुआ।

हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को लंबित मामलों के (लंबित मामलों  को बीमारी संबोधित  किया गया ) के लिए एक मुकदमा नीति स्थापित करने का निर्देश दिया, जिसमें राज्य सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों से मिलकर एक स्थायी प्रकोष्ठ होना चाहिए, जो इस बात की जांच करेगा कि क्या उन मामलों में याचिका दायर की जानी चाहिए, जहां मुद्दे पहले से ही इस कोर्ट  द्वारा अंतिम रूप से तय किए गए हैं और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे गए हैं। साथ ही, वकीलों द्वारा स्थगन मांगने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए पहली बार में जवाब दाखिल न करने के लिए जवाबदेही भी निर्देशित की जानी चाहिए। 

हाई कोर्ट ने यह  टिप्पणियां पंजाब में विभिन्न सरकारी विभागों के खिलाफ 37 याचिकाओं पर  सुनवाई करते हुए की गईं, जो नवंबर 2023 में दायर की गई थीं और तब से जवाब लंबित हैं। खंडपीठ ने कहा  हमें यह देखकर दुख होता है कि राज्य सरकार और उसके विभिन्न विभाग इस  कोर्ट  के समक्ष आने वाले लगभग सभी मामलों में पहली बार में जवाब दाखिल नहीं करते हैं।  

नोटिस के बाद कोर्ट  द्वारा निर्धारित तिथि पर, राज्य के वकील द्वारा उत्तर दाखिल करने के लिए स्थगन का अनुरोध किया जाता है, कोर्ट  ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें राज्य और उसके अधिकारियों द्वारा कई वर्षों से जवाब  दाखिल नहीं किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं।इस मामले में  हाई कोर्ट  ने पंजाब सरकार को चेतावनी भी दी कि यदि अगली तिथि से पहले जवाब दाखिल नहीं किया गया तो  10 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा और यह जुर्माना संबंधित विभागों के प्रभारी अधिकारियों के वेतन से वसूला जाएगा ।हाई कोर्ट ने  मामले को 11 नवंबर तक स्थगित करते हुए  मुख्य सचिव, पंजाब को अगली सुनवाई की तिथि पर या उससे पहले  इस बाबत स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस मामले में मेसर्स चहल स्पिनटेक्स प्राइवेट लिमिटेड  ने  बठिंडा व अन्य ने आबकारी व कराधान कर विवाद के चलते हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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