Chandigarh:बेटे को बड़ा करने, पढ़ाई, शादी, इलाज का खर्च मांगने वाले पिता की अर्जी खारिज,कोर्ट ने कहा- यह फर्ज होता है...

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

कोर्ट ने कहा कि पिता ने अर्जी में दलील दी थी कि उसने प्रतिवादी (बेटे) की सर्जरी पर 1.22 लाख रुपए खर्च किए।

father petition who asked for expenses of his son's upbringing, education, marriage and treatment was rejected

Chandigarh News: डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उस पिता की अर्जी को रद्द कर दिया, जिसमें उसने अलग हुए बेटे के लालन-पालन, पढ़ाई व शादी आदि पर किए गए खर्च की रिकवरी की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि एक बच्चे को शिक्षा देना, चिकित्सा आदि पर अपनी क्षमता के अनुसार पैसा खर्च करना पिता का कर्त्तव्य होता है। यह सब प्रेम, स्नेह, देखभाल और चिंता के तहत खर्च किए जाते हैं, बिना यह उम्मीद किए कि वह पैसा वापस किया जाएगा। ऐसे में, जो कार्य एक कर्तव्य के रूप में किया गया है, उसे मुकदमे में परिवर्तितु नहीं किया जा सकता। एक पिता अपने ही बच्चों की  शिक्षा, चिकित्सा, कपड़े आदि पर खर्च किए गए पैसे की मांग नहीं कर सकता। इस तरह का मुकदमा सिर्फ कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

कोर्ट ने कहा कि पिता ने अर्जी में दलील दी थी कि उसने प्रतिवादी (बेटे) की सर्जरी पर 1.22 लाख रुपए खर्च किए। यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि अर्जीकर्ता जो प्रतिवादी का पिता है, अपने बेटे के चिकित्सा खर्चों पर खर्च की गई रकम की वसूली की मांग कर रहा है। बच्चों का पालन-पोषण करना माता-पिता का कर्तव्य है। ऐसे कार्यों को उनके रिश्ते को देखते हुए, पैसे के रूप में मापा नहीं जा सकता। अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद अर्जीकर्ता पिता ने दूसरी 

शादी कर ली थी। उससे एक बेटा पैदा हुआ था। वहीं सौतेली मां व पिता के साथ रिश्ता खराब हो गया था। फरवरी, 1999 में अपनी शादी के बाद रिश्तों में आई खटास के चलते प्रतिवादी बेटे को घर से निकाल दिया गया था। वहीं देश में जब कोरोना के हालात थे तो अर्जीकर्ता ने अपने बेटे पर दबाव डालना शुरू कर दिया कि उसने उस पर अभी तक जो खर्च किया है वह 20 लाख रुपए बना है और उसे दे। प्रतिवादी बेटे को जब पता चला कि उसके पिता ने पैतृक जमीन अपने दूसरे बेटे के नाम करवा दी तो उसने एक  सिविल केस  भी कोर्ट में दायर किया गया था. 

बेटे का कहना था कि उस केस के जवाब में उसके पिता ने मौजूदा रिकवरी केस दायर किया। बेटे ने कहा कि उसका अर्जीकर्ता पिता कोई ऐसा एग्रीमेंट या कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिखा सका कि वह बेटे के देश में ऊपर खर्च पैसा (बढ़ा करने, मेडिकल व शादी) बेटे को लौटाना होगा.

यह खर्च मांगा था...
रिंग सेरेमनी शादी पर खर्च
गहनों पर खर्च
होंडा एक्टिवा
बुलेट मोटरसाइकिल
एलएलबी डिग्री 
दवाईयों पर खर्च
 कपड़ों व अन्य पर खर्च

(For more news apart from father petition who asked for expenses of his son's upbringing, education, marriage and treatment was rejected, court said - this is the duty..., stay tuned to Rozana Spokesman hindi)