Punjab and Haryana HC: फर्जी निकाह की आड़ में धर्म परिवर्तन का संदेह, HC ने CBI को सौंपी जांच

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ के डीजीपी को यह भी आदेश दिया कि वह सीबीआई को आवश्यक जनशक्ति उपलब्ध करवाए।

Punjab and Haryana HC Suspicion of religious conversion under guise of fake marriage investigation handed over to CBI

Punjab and Haryana High Court: फर्जी निकाह की आड़ में क्या धर्म परिवर्तन का कोई रैकेट चल रहा, हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी थी। अब इस मामले में सीबीआई ने हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर कर पहले के आदेश पर स्पष्टीकरण और संशोधन की मांग की है। सीबीआइ ने अर्जी में कहा कि गहन जांच करने के लिए उसे एक एक विशिष्ट निर्देशन की आवश्यकता होगी। हाई कोर्ट ने सीबीआइ की मांग को स्वीकार करते हुए इस मामले में पंजाब सरकार, याची व चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ के डीजीपी को यह भी आदेश दिया कि वह सीबीआई को आवश्यक जनशक्ति उपलब्ध करवाए।

सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि इस मामले में पुलिस स्टेशन बदाली अला सिंह बस्सी पठाना में एफआइआइ दर्ज कर ली गई है। चंडीगढ़ पुलिस ने भी इस मामले में जीरो एफआइआर दर्ज की हे। जिस मौलवी ने यह निकाह करवाया था उसे गिरफ्तार कर लिया है लेकिन तथ्यों की जांच नहीं हो पाई।हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 अक्टूबर तक स्थगित करते हुए सीबीआइ को कहा कि वह कोर्ट द्वारा उठाए गए गए कारण और चिंता की जड़ों में गहराई से उतरे अर्थात विशेष रूप से धर्म के अवैध रूपांतरण की आशंका और संदेह प्रकाश और तरीके की जांच करें जैसे ही वर्तमान विवाह में हुआ है।

 मामला क्या है 

फतेहगढ़ साहिब के एक प्रेमी जोड़े ने हाई कोर्ट में सुरक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने हैरान और निराशा व्यक्त करते याचिका में पाया था कि तस्वीरों के अनुसार, विवाह एक ऑटो-रिक्शा में हुआ था, जबकि घोषणा में कहा गया था कि मस्जिद में निकाह किया गया है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि जुलाई में पंजाब के नयागांव में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार लड़की के रिश्तेदारों की इच्छा के विरुद्ध विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए उन्हें अपनी जान का खतरा है।

विवाह समारोह की तस्वीरों की जांच करते समय कोर्ट ने कहा तस्वीरों को देखने से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि विवाह किसी मस्जिद में नहीं हो रहा था और प्रमाण पत्र में बताए गए गवाहों में से कोई भी यानी किसी वकील या गवाह या अहले जमात की उपस्थिति बिल्कुल भी नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकील ने साफ तौर पर स्वीकार किया कि समारोह ऑटो-रिक्शा में आयोजित किए गए थे। 

जस्टिस मौदगिल ने कहा कि पूरी कार्यवाही गलत इरादों से प्रेरित प्रतीत होती है और विवाह की आड़ में कोर्ट को मूर्ख बनाया जा रहा है । परिणामस्वरूप, हाई कोर्ट ने फतेहगढ़ साहिब के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया था कि उक्त टिप्पणियों के आलोक में मामले की जांच करें तथा इस बात की भी विस्तृत जांच करें कि क्या इस तरह की फर्जी शादी की आड़ में धर्म परिवर्तन के नाम पर कोई रैकेट चल रहा है।

 पंजाब पुलिस ने रिपोर्ट सौंपी की लड़की ने धर्म नहीं बदला है और न ही निकाह में कुछ अवैध है। हाई कोर्ट ने कहा कि पंजाब पुलिस ने इस मामले में सही प्रकार से जांच नहीं की है। हमारे मन में अभी भी शंका है और इसे दूर करना जरूरी है। ऐसा सिर्फ किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी की जांच से संभव है। ऐसे में हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

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