Punjab-Haryana High Court: सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों का मामला, हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

- केंद्र ने हाई कोर्ट को बताया पंजाब की जेलों में बंद 24 कैदियों की पहचान के लिए पाकिस्तान के जवाब का इंतजार 

Punjab Haryana HC took cognizance of Pakistani prisoners lodged in jails even after completing their sentence case

Punjab-Haryana High Court : सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को जानकारी दी है कि पंजाब की जेलों में बंद 24 कैदियों की पहचान के लिए पाकिस्तान सरकार से मंजूरी का इंतजार कर रही है। कोर्ट को बताया गया कि  24 कैदियों के संबंध में मंत्रालय और सभी हितधारकों के बीच सक्रिय विचार-विमर्श चल रहा है, उनको वापस पाकिस्तान भेजने के लिए आवश्यक दस्तावेज मौजूद नहीं हैं और पाकिस्तानी हाई कमिशन से इस बारे में वार्ता जारी है।

केंद्र की तरफ से चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल खेत्रपाल की पीठ के समक्ष बताया गया कि 11 जुलाई के आदेश के तहत छह कैदियों को रिहा कर दिया गया है और भारत सरकार शेष 24 कैदियों की पहचान के संबंध में पाकिस्तान सरकार से मंजूरी का इंतजार कर रही है।

पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट टिप्पणी की थी कि केंद्र सरकार सजा पूरी होने के बावजूद हिरासत में बंद पाकिस्तानी कैदियों को वापस भेजने के संवेदनशील मुद्दे पर अपने पैर पीछे खींच रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर अगली सुनवाई तक कार्रवाई नहीं की जाती है तो उस पर कठोर जुर्माना लगाया जाएगा।

यह मामला तब सामने आया जब किशोर गृहों में बंद पाकिस्तान के दो किशोरों ने जस्टिस एन एस शेखावत, जो फरीदकोट सत्र प्रभागों के प्रशासनिक जज भी हैं, के समक्ष प्रस्तुत किया कि उन्हें अप्रैल 2023 में बरी किए जाने के बाद भी हिरासत में रखा गया था और उनके प्रत्यावर्तन का मामला पंजाब के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास निदेशालय के समक्ष लंबित है। वर्ष 2022 में, दो पाकिस्तानी नागरिकों पर पासपोर्ट अधिनियम के तहत पंजाब के तरन तारन में भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था और तब से वे किशोर पर्यवेक्षण गृह में बंद हैं।

हालांकि, किशोर बोर्ड ने दोनो को बरी करते हुए फैसला सुनाया कि एक सीमा स्तंभ से दूसरे सीमा स्तंभ के बीच कोई बाड़ नहीं थी। धुंधले दिनों में गलती से भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है और इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि घटनास्थल पर तार या गेट न होने के कारण किशोर दो देशों के क्षेत्र का अंतर नहीं समझ पाए।दोनों किशोरों ने जस्टिस शेखावत को मुकदमे में बरी होने के बावजूद पर्यवेक्षण गृह में बंद रहने की अपनी दुर्दशा के बारे में लिखा, क्योंकि उनके प्रत्यावर्तन का मामला लंबित है।

पिछली सुनवाई में पंजाब सरकार ने कहा था कि दोनों किशोरों को पाकिस्तान वापस भेज दिया गया है। हालांकि, एक अन्य पाकिस्तानी किशोर को बरी किए जाने के बावजूद हिरासत में पाया गया।

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