कांग्रेस ने इंदिरा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी, उनके योगदान को किया याद

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ‘शक्ति स्थल’ पहुंचकर इंदिरा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की।

Congress pays tribute to Indira on her birth anniversary, remembers her contribution

New Delhi :  कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर शनिवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी और देश के प्रति उनके योगदान को याद किया।

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ‘शक्ति स्थल’ पहुंचकर इंदिरा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की।

खरगे ने ट्वीट किया, "आजीवन संघर्ष, साहस व कुशल नेतृत्व की मिसाल, भारत की "लौह महिला", श्रीमती इंदिरा गांधी की जयंती पर शत शत नमन। भारत की एकता व अखंडता को संजोए रखने के लिए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया। राष्ट्र को समर्पित, उनकी राजनीतिक दृढ़ता को हम भारतवासी हर पल याद करते हैं।"

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की शुरुआत से पहले अपनी दादी इंदिरा गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने इंदिरा गांधी को याद करते हुए ट्वीट किया, ‘‘आज़ादी के संग्राम में पली, भारत के महान नेताओं से सीखी पढ़ी, पिता की लाडली थीं वो। देश के लिए दुर्गा, दुश्मनों के लिए काली थीं - निडर, तेजस्विनी, प्रियदर्शिनी।"

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने इंदिरा गांधी के एक भाषण का अंश साझा करते हुए उनके कथन का उल्लेख किया, "एकजुट होकर काम करना है, एकजुट होकर आगे बढ़ना है, एकजुटता के साथ देश की विजय सुनिश्चित करनी है।"

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा, "देश की एकता और अखंडता बरकरार रखने में इंदिरा गांधी जी का अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने इस महान उद्देश्य के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। उनके कार्यकाल में भारत की सेना ने ऐतिहासिक शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान को पराजित किया तथा बांग्लादेश का निर्माण हुआ।"

कांग्रेस के कई अन्य नेताओं ने भी इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान एवं बलिदान को याद किया।

गौरतलब हैं कि देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को प्रयागराज में हुआ था। वह जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक प्रधानमंत्री रहीं। इसके बाद 1980 में वह फिर से प्रधानमंत्री बनीं। 31 अक्टूबर, 1984 को उनके अंगरक्षकों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी।