भारत को सफलता के शिखर पर ले जाना है तो अतीत के संकुचित नजरिये से आजाद होना होगा: प्रधानमंत्री

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

उन्होंने कहा, ‘‘जिस समाज व राष्ट्र की नई पीढ़ी जोर-जुल्म के आगे घुटने टेक देती है, उसका आत्मविश्वास और भविष्य अपने आप मर जाता है।

If India has to be taken to the pinnacle of success, then it has to be free from the narrow vision of the past: PM

New Delhi : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत को अगर सफलता के शिखर पर ले जाना है तो उसे अतीत के संकुचित नजरिये से भी आजाद होना होगा। राजधानी स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत की याद में पहले ‘‘वीर बाल दिवस’’ के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि यह दिन अपने अतीत का जश्‍न मनाने और लोगों को भविष्‍य के लिए प्रेरित करने का अवसर है।

साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एक ओर आतंक की पराकाष्ठा तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष! एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! और इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज, और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं।’’

उन्होंने कहा कि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे और उन्होंने भारत को बदलने के मंसूबे पाल रखे थे । इस आतंक के खिलाफ गुरु गोविंद सिंह पहाड़ की तरह खड़े थे।.

उन्होंने कहा, ‘‘जिस समाज व राष्ट्र की नई पीढ़ी जोर-जुल्म के आगे घुटने टेक देती है, उसका आत्मविश्वास और भविष्य अपने आप मर जाता है। लेकिन, भारत के वो बेटे मौत से भी नहीं घबराए। वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया।’’.

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके त्याग और उनकी इतनी बड़ी 'शौर्यगाथा' को इतिहास में भुला दिया गया।.

उन्होंने कहा कि लेकिन अब 'नया भारत' दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है। न्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से हमें इतिहास के नाम पर वह गढ़े हुए विमर्श बताएं और पढ़ाए जाते रहे, जिनसे हमारे भीतर हीन भावना पैदा हो। बावजूद इसके हमारे समाज और हमारी परंपराओं ने इन गौरव गाथाओं को जीवंत रखा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखर पर ले जाना है तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आजाद होना पड़ेगा। इसलिए, आजादी के 'अमृतकाल' में देश ने 'गुलामी की मानसिकता से मुक्ति' का प्राण फूंका है।’’

मोदी ने कहा कि चमकौर और सरहन्‍द के युद्ध कभी भुलाये नहीं जा सकते क्योंकि यह सब कुछ इसी भूमि पर तीन सदी पहले लड़ा गया था। .

उन्होंने कहा, ‘‘एक ओर आतंक की पराकाष्ठा तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष! एक ओर मजहबी उन्माद तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! एक ओर नृशंसता ने अपनी सभी सीमाएं तोड़ दीं तो दूसरी ओर धैर्य, शौर्य, पराक्रम के भी सभी प्रतिमान टूट गए। साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह ने भी बहादुरी की वो मिसाल कायम की, जो सदियों को प्रेरणा दे रही है।’’.

ज्ञात हो कि गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्र थे। जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था जबकि साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह की चमकौर के युद्ध में शहादत हुई थी।.

प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा अपने साहस से समय की धारा को हमेशा के लिए मोड़ देता है और इसी संकल्प शक्ति के साथ आज भारत की युवा पीढ़ी भी देश को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निकल पड़ी है।. मोदी ने कहा कि सिख गुरु परंपरा केवल आस्था और आध्यात्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के विचार का भी प्रेरणापुंज है।.

इससे पहले, प्रधानमंत्री ने लगभग 300 बच्‍चों द्वारा किए गए शबद कीर्तन में भाग लिया।.

केंद्र सरकार ने इसी वर्ष नौ जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के दिन गुरु गोबिंद सिंह के बेटों साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की याद में 26 दिसंबर को ‘‘वीर बाल दिवस’’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी