बलात्कार मामले पर GNLU की जांच छवि बचाने की कोशिश लगती है : गुजरात उच्च न्यायालय

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, गुजरात

अदालत ने कहा कि तथ्यान्वेषी समिति ने अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है।

Gujarat HC (FILE PHOTO)

अहमदाबाद : गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (जीएनएलयू) में समलैंगिक छात्र के उत्पीड़न और एक छात्रा के साथ सहपाठी द्वारा बलात्कार के आरोप संबंधी स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि संस्थान अपनी छवि बचाने के लिए इस मुद्दे को दबाने की कोशिश कर रहा है।

यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. मायी की खंडपीठ ने कथित घटना के संबंध में एक अखबार की खबर पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की। पीठ ने जीएनएलयू के रजिस्ट्रार द्वारा दाखिल हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि संस्थान 22 सितंबर, 2023 को अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट से कैसे और किस तरीके से निपट रहा है, खासकर तब जब ऐसी कथित घटना की सूचना रजिस्ट्रार, जीएनएलयू को उनकी स्वयं की स्वीकारोक्ति के अनुसार, 19 सितंबर 2023 को मिली थी।’’

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय द्वारा जिस तरह से जांच की जा रही है, वह संस्थान की छवि को बचाने के लिए पूरे मामले को दबाने का प्रयास प्रतीत होता है।’’ गांधीनगर स्थित जीएनएलयू में एक समलैंगिक छात्र के कथित उत्पीड़न और सहपाठी द्वारा एक छात्रा के साथ कथित बलात्कार के संबंध में एक अखबार ने खबर प्रकाशित की थी।

जीएनएलयू रजिस्ट्रार ने उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल हलफनामे में कहा कि इंस्टाग्राम पर की गई गुमनाम पोस्ट में कोई तथ्य नहीं है, जिसे अखबार की रिपोर्ट में उद्धृत किया गया था। उच्च न्यायालय ने उस तरीके पर भी आपत्ति जताई, जिसमें विश्वविद्यालय की हाल में पुनर्गठित आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के अध्यक्ष को अखबार में छपे आरोपों की जांच के लिए गठित तथ्यान्वेषी समिति का सदस्य बनाया गया था।

अदालत ने कहा कि तथ्यान्वेषी समिति ने अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। उच्च न्यायालय ने अखबार की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि कथित घटना ‘‘गंभीर चिंता पैदा करती है, जिसका विद्यार्थियों के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है।’’.