बिल्किस बानो मामले में आरोपियों की रिहाई पर SC ने गुजरात सरकार से पूछा, 'क्या अन्य कैदियों को मिला ऐसा मौका?'

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, गुजरात

अगली सुनवाई 24 अगस्त को दोपहर 2 बजे से जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच में होगी.

photo

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 17 अगस्त को बिलकिस बानो गैंगरेप मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात सरकार से कई कड़े सवाल किए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने पूछा कि दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था, ऐसी स्थिति में उन्हें 14 साल की सजा के बाद कैसे रिहा किया जा सकता है.

गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट से कहा कि कानून का मतलब यह नहीं है कि सभी को हमेशा के लिए सजा दी जाए. कैदियों को सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए.

इस पर जस्टिस नागरत्ना ने पूछा कि रिहाई में छूट का लाभ केवल बिलकिस के दोषियों को ही क्यों दिया गया, बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं मिली. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब गोधरा कोर्ट ने सुनवाई नहीं की तो उसकी राय क्यों मांगी गई? पीठ ने इस मामले में सलाहकार समिति से ब्योरा मांगा है.

अगली सुनवाई 24 अगस्त को दोपहर 2 बजे से जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच में होगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्न ने जेलों में कैदियों की भीड़ पर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा- कैदियों को रिहाई में कितनी छूट दी जा रही है? हमारी जेलें खचाखच भरी क्यों हैं? खासकर विचाराधीन कैदियों से? हमारा सवाल था कि छूट नीति को चुनिंदा तरीके से क्यों लागू किया जा रहा है? हर कैदी को सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. सिर्फ कुछ कैदी ही नहीं.