गृह मंत्री शाह ने आज देवघर में IFFCO नैनो यूरिया प्लांट के पांचवे सयंत्र का भूमिपूजन और शिलान्यास किया

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, झारखंड

शाह ने कहा कि नैनो यूरिया की देवघर इकाई बनने से यहां प्रतिवर्ष लगभग 6 करोड़ तरल यूरिया की बोतलों का निर्माण किया जाएगा जिससे...

Home Minister Shah performed Bhumi Pujan and foundation stone of fifth plant of IFFCO Nano Urea Plant in Deoghar today

देवघर (राजेश चौधरी ): केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने आज झारखण्ड के देवघर में विश्व के पहले इफको  नैनो यूरिया प्लांट के पांचवे सयंत्र का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। अमित शाह ने बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर देश की उन्नति व खुशहाली के लिए प्रार्थना की। इफको के नैनो यूरिया प्लांट शिलान्यास के अवसर पर गोड्डा से सांसद  निशिकांत दुबे, इफको के चेयरमैन  दिलीप संघानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आज यहां इफको के नैनो यूरिया प्लांट के उत्पादन संयंत्र की आधारशिला रखी गई है। हमारे देश की भूमि की सरंक्षण के लिए तरल यूरिया बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी ने भूमि संरक्षण को प्रमुख मुद्दा बना भूमि संरक्षण के सभी कार्यों को प्राथमिकता दी, चाहे वह प्राकृतिक खेती हो,ऑर्गेनिक खेती हो या नैनो यूरिया के अनुसंधान से लेकर उत्पादन तक की प्रक्रिया को गति देने की बात हो। 

शाह ने कहा कि नैनो यूरिया की देवघर इकाई बनने से यहां प्रतिवर्ष लगभग 6 करोड़ तरल यूरिया की बोतलों का निर्माण किया जाएगा जिससे इसके आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी और भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 500 ग्राम की यह एक छोटी सी बोतल यूरिया के एक पूरे बैग का विकल्प बनेगी। देश में कई जगहों पर किसान यूरिया के साथ-साथ तरल यूरिया का छिड़काव भी करते हैं जिससे न केवल फसल को बल्कि भूमि को भी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा तरल यूरिया का छिड़काव करने पर उत्पादन में संभवत: ही वृद्धि होगी।  शाह ने कहा कि धरती मां के सरंक्षण के लिए ही नैनो तरल यूरिया का अनुसंधान किया गया है। केमिकल फर्टिलाइजर भूमि में उपस्थित कुदरती खाद बनाने वाले केंचुओं को मार देता है वहीं तरल यूरिया का छिड़काव करने पर भूमि किसी भी प्रकार से विषाक्त नहीं होगी।

अमित शाह ने कहा कि यदि जल्द ही कृषि में से रसायन और यूरिया खाद के उपयोग को समाप्त नहीं किया गया तो दुनिया के कई देशों की भांति यहां भी भूमि की उत्पादकता पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की सहकारिता से बने इफको ने विश्व में सर्वप्रथम तरल नैनो यूरिया बनाया और अब डीएपी (डी-अमोनियम फॉस्फेट) की ओर आगे बढ़ रहा है। यह भारत और पूरे सहकारिता क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए बजट में कई योजनाओं की घोषणा की। इसके तहत उत्पादन के क्षेत्र में नई सहकारिता इकाईयों के लिए इनकम टैक्स की दर 26% से घटाकर 15% कर दी गयी है।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद पूरे भारत के सहकारिता के डेटा बैंक को बनाने का काम किया गया है। अगले 5 वर्षों में सरकार हर पंचायत में नई बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि देश में सालों से ऐसी भंडारण प्रक्रिया चल रही है जो हमारे देश के अनुकूल नहीं हैं। किसान की उपज को पहले गोदामों में लाया जाता है और फिर उसे वापस वितरण के लिए गांव ले जाया जाता है इससे सरकार गरीब को जितना फायदा देना चाहती है उसका 50% आवागमन में खर्च हो जाता है। लेकिन अब हर तहसील में दो से पांच हजार टन भंडारण क्षमता वाले आधुनिक गोदाम बनाए जाएंगे जिससे किसान का उत्पाद तहसील सेंटर पर ही स्टोर होगा और वहीं से मध्याह्न भोजन और गरीबों को मुफ्त अनाज के रुप में उसी तहसील में वितरित किया जाएगा जिससे अनाज के परिवहन खर्च में लगभग 80% की कमी आएगी।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने बजट में विश्व की सबसे बड़ी कोऑपरेटिव अन्न भंडारण योजना की घोषणा की है, यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है। इससे पैक्स बहुआयामी बनेंगे और उनकी इनकम बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने आईटी मंत्रालय के समर्थन से पैक्स को कम्युनिटी सेंटर के रुप में भी मान्यता दे दी है। अब पैक्स के माध्यम से भारत सरकार और राज्य सरकार की 300 सेवाएं उपलब्ध होंगी, जैसे- जन्म-मृत्यु का पंजीकरण, एयर-ट्रेन टिकट बुकिंग, बैंकिंग आदि। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज लगभग 5 देशों में तरल यूरिया का निर्यात किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इफको द्वारा बनाया गया यह तरल यूरिया न केवल भारत बल्कि विश्व के किसानों की भी मदद करेगा। भारत कभी यूरिया को आयात करता था लेकिन प्रधानमंत्री जी द्वारा यूरिया के कई कारखाने पुनर्जीवित किए गये और आज 30 एकड़ में बन रहा तरल यूरिया का यह छोटा सा कारखाना आयातित 6 करोड़ यूरिया खाद के बैग के विकल्प का निर्माण करेगा जिससे भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। इससे किसान की भूमि भी संरक्षित रहेगी और उत्पादन में भी वृद्धि होगी।  शाह ने समग्र पूर्वी भारत के किसानों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि तरल नैनो यूरिया का यह कारखाना न केवल झारखंड बल्कि बिहार, उड़ीसा और बंगाल के किसानों के खेतों में भी उत्पादन बढ़ाने में उपयोगी साबित होगा।