झारखंड के शीर्ष तकनीकी संस्थानों और स्कूलों में चंद्रयान-3 की लैंडिग का किया जाएगा सीधा प्रसारण

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, झारखंड

चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है और इसका उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित और आसानी से लैंडिंग करना, चंद्रमा पर घूमना...

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रांची:  झारखंड के शीर्ष तकनीकी संस्थान सहित कई स्कूल युवा वैज्ञानिकों में अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति जुनून जगाने के लिए बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि धनबाद स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-आईएसएम), मेसरा स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी (एनआईएएमटी) और अन्य संस्थानों ने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण करने की व्यवस्था की है।

चंद्रयान-3, इसरो का महत्वाकांक्षी तीसरा चंद्रमा मिशन है, जिसका लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरने वाला है। आईआईटी-आईएसएम के उप निदेशक धीरज कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, "हम पेनमैन ऑडिटोरियम में चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग का सीधा प्रसारण करेंगे। ऐतिहासिक कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए छात्रों और शिक्षकों को आमंत्रित किया गया है। यह निश्चित रूप से छात्रों को भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषणों के लिए प्रेरित करेगा।"

कुमार ने कहा कि संस्थान में एक खगोल विज्ञान क्लब और खदान सर्वेक्षण अनुभाग है, जो समय-समय पर खगोलीय घटनाओं का निरीक्षण करता है। उन्होंने कहा, "हमारे पास एक खगोलीय दूरबीन भी है, जो अद्वितीय है और सीमित संस्थानों में उपलब्ध है। इसकी मदद से, हम छात्रों को प्रेरित करने और उनके ज्ञान को समृद्ध करने के लिए खगोलीय घटनाओं का अवलोकन करते हैं।"

बीआईटी मेसरा की मीडिया सेल प्रभारी कृति अविषेक ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सीधा प्रसारण युवा वैज्ञानिकों को भारत की उपलब्धियों को देखने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। अगर चंद्रयान-3 अभियान चंद्रमा की सतह को छूने में और चार साल में इसरो के दूसरे प्रयास में रोबोटिक लूनर रोवर को लैंड करने में सफल रहता है तो भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में प्रौद्योगिकीय महारत रखने वाला अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है और इसका उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित और आसानी से लैंडिंग करना, चंद्रमा पर घूमना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है।

चंद्रयान -2 अपने अभियान में विफल रहा था क्योंकि इसका लैंडर ‘विक्रम’ सात सितंबर, 2019 को लैंडिंग का प्रयास करते समय लैंडर के ब्रेकिंग सिस्टम में खराबी आ जाने के कारण सतह पर उतरने से कुछ मिनट पहले चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान का पहला अभियान 2008 में हुआ था। 600 करोड़ रुपये की लागत वाला चंद्रयान-3 अभियान लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए 14 जुलाई को शुरू हुआ था और आज तक इसने 41 दिन का सफर तय कर लिया है।