Punjab News: स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का नि:शुल्क प्रसारण सुनिश्चित करने के लिए पंजाब विधानसभा में विधेयक पारित

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, पंजाब

वर्तमान में, स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का प्रसारण ‘पीटीसी’ करता है, जो एक निजी चैनल है और इसे...

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चंडीगढ़: पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का ‘नि:शुल्क प्रसारण’ सुनिश्चित करने के लिए राज्य विधानसभा में मंगलवार को सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया। सिख गुरुओं और गुरु ग्रंथ साहिब के अन्य लेखकों की विभिन्न रचनाओं को ‘गुरबानी’ कहा जाता है। सदन में विधेयक पेश किए जाने के बाद उस पर चर्चा हुई, जिसके बाद उसे पारित कर दिया गया।

इससे पहले सोमवार को पंजाब मंत्रिमंडल ने स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का नि:शुल्क सीधा प्रसारण सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटिश काल के सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन को मंजूरी दी थी। वर्तमान में, स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का प्रसारण ‘पीटीसी’ करता है, जो एक निजी चैनल है और इसे अकसर शिरोमणि अकाली दल के बादल परिवार से संबद्ध किया जाता है।

विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पवित्र गुरबानी के प्रसारण का अधिकार केवल किसी एक चैनल को नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पिछले साल सिखों के शीर्ष धार्मिक निकाय ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ (एसजीपीसी) को अपना चैनल शुरू करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसकी शुरुआत नहीं हो सकी।

पीटीसी चैनल के स्पष्ट संदर्भ में मान ने कहा, ‘‘केवल एक चैनल के पास ही पवित्र गुरबानी के प्रसारण का अधिकार है।’’ मान ने कहा कि इस चैनल को विदेश में देखने वाले लोगों को इसकी ग्राहक सेवा के लिए भारी राशि का भुगतान करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने इसे ‘‘सर्व कल्याण’’ के सार्वभौमिक संदेश को फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में ‘सरब सांझी गुरबानी’’ का प्रसार करने के लिए समय की आवश्यकता बताया। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता मनप्रीत अयाली ने भी इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कहा कि गुरबानी का प्रसारण पारदर्शी तरीके से होना चाहिए और केवल एक चैनल के पास विशेष अधिकार नहीं होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि एसजीपीसी को अपना चैनल शुरू करना चाहिए। हालांकि, अयाली ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को एसजीपीसी के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

बसपा विधायक नछत्तर पाल ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि ऐसे फैसले लेने से पहले धार्मिक निकायों और संबंधित पक्षों से चर्चा की जानी चाहिए। वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायक बुद्ध राम ने कहा कि अगर एक ही चैनल गुरबानी का प्रसारण करता है, तो यह व्यापक रूप से दुनियाभर के लोगों तक नहीं पहुंच सकती।

इस बीच, कांग्रेस सदस्यों ने विधानसभा के वर्तमान सत्र में प्रश्नकाल या शून्यकाल का प्रावधान नहीं होने का विरोध करते हुए सदन से बर्हिगमन किया। भाजपा ने सोमवार को आरोप लगाया था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने और करदाताओं के पैसे बर्बाद करने के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आयोजित कर रही है। ऐसे में पार्टी ने कार्यवाही से दूर रहने की घोषणा की थी।

सिखों के शीर्ष धार्मिक निकाय ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ (एसजीपीसी) ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि 1925 का अधिनियम एक केंद्रीय कानून है और इसे केवल संसद द्वारा ही संशोधित किया जा सकता है।

बहरहाल, पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने कहा कि राज्य सरकार इस अधिनियम में संशोधन करने में पूरी तरह से सक्षम है क्योंकि उच्चतम न्यायालय हरियाणा के लिए एक अलग गुरुद्वारा कमेटी के मुद्दे पर पहले ही फैसला सुना चुका है कि यह अधिनियम कोई अंतर-राज्य अधिनियम नहीं, बल्कि एक राज्य अधिनियम है।