PSIEC Plot Scam: करोड़ों का प्लॉट घोटाला- विजिलेंस करेगी बड़े अधिकारियों पर मुकदमा, CM मान ने दी मंजूरी

राष्ट्रीय, पंजाब

गौरतलब है कि उक्त अधिकारियों के खिलाफ राजनीतिक पहुंच वाले भ्रष्ट लोगों को अवैध तरीके से करोड़ों रुपये के प्लॉट आवंटित किए गए...

CM bhagwant Mann gives approval to Vigilance action against 6 big officials in the multi-crore plot scam case.

PSIEC Plot Scam: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने करोड़ों रुपये के औद्योगिक प्लॉट आवंटन घोटाले में पंजाब लघु उद्योग और निर्यात निगम (PSIEC) के छह अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।

दरअसल, पंजाब सरकार के पीएसआईसी (Punjab Small Industries and Export Corporation)में करोड़ों रुपये के प्लॉट घोटाले के मास्टरमाइंड पूर्व सीजीएम एसपी सिंह, पूर्व सीजीएम जसविंदर सिंह रंधावा, एसडीई स्वतेज सिंह, पूर्व राज्य अधिकारी अमृत सिंह काहलो, सलाहकार दर्शन गर्ग, पूर्व वरिष्ठ सहयोगी विजय गुप्ता के खिलाफ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विजिलेंस ब्यूरो को पीसी एक्ट 1988 17 के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है.

2018 में, सतर्कता ब्यूरो ((VB)) ने 22 औद्योगिक भूखंडों के आवंटन में उनकी कथित भूमिका के लिए छह अधिकारियों पर मामला दर्ज करने के लिए पीएसआईईसी के तत्कालीन एमडी से अनुमति मांगी थी।

गौरतलब है कि उक्त अधिकारियों के खिलाफ राजनीतिक पहुंच वाले भ्रष्ट लोगों को अवैध तरीके से करोड़ों रुपये के प्लॉट आवंटित किए गए थे और जांच के दौरान कई बेनामी प्लॉट भी सामने आए थे। जिससे पंजाब सरकार के खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. हालांकि विजिलेंस ब्यूरो ने उक्त आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर तत्कालीन उद्योग मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा समेत कई अन्य को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन इन दिनों ये लोग जमानत पर हैं।

करोड़ों रुपये के इस घोटाले की जांच के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री के फर्जी आदेश पत्र का सहारा लेने वाले 3 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है.


सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की यह फाइल टेबल पर है। बता दें कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार आने के बाद कुछ लोगों की शिकायत और कोर्ट में याचिका के बाद औद्योगिक प्लाटों की हेराफेरी की जांच विजिलेंस से कराई जा रही थी, लेकिन उस समय कोर्ट और सरकार यह कह कर गुमराह किया गया कि कमेटी मुख्यमंत्री द्वारा बनायी गयी है. उस समय विजिलेंस को भी मुख्यमंत्री की पत्र कमेटी का हवाला देकर हस्तक्षेप करने से रोका गया था.

सूत्रों का यह भी कहना है कि बाद में यह बात सामने आयी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था. जिससे करोड़ों की साजिश के दोषियों को बचाने में तीन आईएएस अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।


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