अब और जानलेवा हो रही लू : अध्ययन

Rozanaspokesman

अन्य, सोशल

शोधकर्ताओं के मुताबिक, लू विशेष रूप से बुजुर्गों, बीमार लोगों और गरीबों के लिए जानलेवा है।

Heat wave getting more deadly now: Study

New Delhi: पिछले 20 साल में घातक लू चलने की घटनाओं में तेज बढ़ोतरी हुई है और भविष्य में इस प्रकार की प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों की घटनाएं और बढ़ेंगी, जिससे लू संबंधी मामलों में मृत्यु दर बढ़ने की आशंका है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। पत्रिका ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि लू के प्रकोप से यूरोप विशेष रूप से प्रभावित होगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक, लू विशेष रूप से बुजुर्गों, बीमार लोगों और गरीबों के लिए जानलेवा है।

उन्होंने कहा कि 2003 में लू चलने के दौरान यूरोप में तापमान 47.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था, जो हालिया दशकों में सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इस लू के कारण कुछ सप्ताह में 45,000 से 70,000 लोगों की मौत हो गई थी।  स्विट्जरलैंड स्थित ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि आने वाले वर्षों में ऐसी लू आम बन सकती है।

शोधकर्ता 2013 से यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, लातिन अमेरिका, अमेरिका और कनाडा के 47 देशों के 748 शहरों और समुदायों में रोजाना गर्मी से संबंधित ‘अतिरिक्त मृत्यु दर’ संबंधी व्यवस्थित डेटा एकत्र कर रहे हैं।

अतिरिक्त मृत्यु दर यह पता लगाती है कि एक निश्चित अवधि में अपेक्षित मृत्यु दर से अधिक कितने लोगों की मौत हुई है।  शोधकर्ताओं ने सभी 748 स्थानों के औसत दैनिक तापमान और मृत्यु दर के बीच संबंध की गणना करने के लिए इस डेटा का उपयोग किया। इससे उन्होंने प्रत्येक स्थान के ऐसे आदर्श तापमान के बारे में पता लगाया, जिसमें अतिरिक्त मृत्यु दर सबसे कम है। 

उदाहरण के लिए बैंकॉक में यह तापमान 30 डिग्री सेल्सियस, साओ पाउलो में 23 डिग्री सेल्सियस, पेरिस में 21 डिग्री सेल्सियस और ज्यूरिख में 18 डिग्री सेल्सियस है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस आदर्श तापमान से एक डिग्री ऊपर तापमान का हर दसवां हिस्सा अतिरिक्त मृत्यु दर को बढ़ाता है।.