Amoeba Case: केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा का बढ़ा कहर, एक और मामला आया सामने, देश में अब तक 22 लोगों की गई जान

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इससे पहले बीते दिन एक 14 साल के बच्चे की इस संक्रमण से मौत हो गई.

Kerala Brain Eating Amoeba Case Update

Kerala Brain Eating Amoeba Case Update News: केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा का कहर बढ़ता जा रहा है. यहां आज इस संक्रमण का एक और मामला सामने आया है. उत्तरी केरल जिले के पय्योली का रहने वाले एक 14 साल के लड़के में रेयर ब्रेन इन्फेक्शन अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के संक्रमण की पुष्टि हुई है।  लड़के का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

बता दे कि राज्य में मई से अबतक दिमाग खाने वाले अमीबा के चार केस मिले हैं। इनमें से तीन की मौत हो चुकी है. हैरानी की बात यह है कि सभी मामले बच्चों में ही पाए गए हैं.  

इससे पहले बीते दिन एक 14 साल के बच्चे की इस संक्रमण से मौत हो गई.  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब मासूम तालाब में नहा रहा था तो यह अमीबा नाक के जरिए उसके शरीर में चला गया और फिर बच्चे के दिमाग में अमीबा का संक्रमण फैल गया. इलाज के दौरान इस अमीबा ने उसकी जान ले ली.  

जानकारी दे दें कि इस खतरनाक अमीबा का नाम नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) है। मेडिकल भाषा में इस अमीबा को Primary amoebic meningoencephalitis (PAM) कहते हैं। वहीं बोलचाल की भाषा में इसे 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' यानी  दिमाग खाने वाला अमीबा  के रुप में जाना जाता है. 

प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM इंफेक्शन गंदे पानी में पाए जाने वाले प्री-लिविंग अमीबा के कारण होता है। यह नाक की पतली त्वचा से शरीर में घुस जाता है और महज चार दिन के अंदर यह इंसान के नर्वस सिस्टम यानी दिमाग पर वार करना शुरू कर देता है। 14 दिन के अंतराल में यह दिमाग में सूजन पैदा कर देता है जिसकी वजह से मरीज को मौत हो जाती है। 

नेगलेरिया फाउलेरी नामक ये अमीबा मिट्टी, तालाब और झीलों , नदियों जैसे पानी के स्रोतों वाली जगहों में पाया जाता है। ये एक फ्री लिविंग ऑग्निज्म है। डॉक्टरों के मुताबिक, इस अमीबा के शरीर में दाखिल होने के बाद शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पैरालाइज हो जाता है।  

अबतक 22 लोगों की मौत 

यहां आपको जानकारी दे दें कि यह  पहली बार नहीं है जब इसके मामले सामने आ रहे हैं.  इससे पहले भी देश के विभिन्न अस्पतालों में अमीबिक मेनिगोएन्सेफलाइटिस बीमारी के मामले सामने आते रहे हैं। केंद्र सरकार के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के मुताबिक, अब तक केरल से लेकर हरियाणा और चंडीगढ़ तक 22 लोगों की मौत हुई है. जिनमें से छह मौत 2021 के बाद दर्ज की गई। केरल में पहला मामला 2016 में सामने आया तब से अब तक यहां आठ मरीज मिले हैं और सभी की मौत हुई।

नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, साल 2019 तक देश में इस बीमारी के 17 मामले सामने आए लेकिन कोरोना महामारी के बाद कई तरह के संक्रमणों में उछाल देखने को मिला है। इसलिए शायद अचानक से बढ़ी इस बीमारी के पीछे यह एक कारण हो सकता है। 26 मई 2019 को हरियाणा में एक आठ माह' की बच्ची में यह बीमारी सामने आई।


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