मप्र पुलिस को मिली महाराष्ट्र में विवादित पुस्तक की लेखिका , सीआरपीसी के तहत नोटिस जारी

Rozanaspokesman

राज्य

‘‘लेखिका जब इंदौर से पुणे गईं, तब उन्हें महाराष्ट्र सीमा से लगे मध्य प्रदेश के सेंधवा कस्बे में भी डायलिसिस करानी पड़ी थी।’’

MP Police found author of controversial book in Maharashtra, issued notice under CrPC

इंदौर : इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के पुस्तकालय में कथित तौर पर रखवाई गई एक किताब से जुड़े विवाद में मध्य प्रदेश पुलिस ने इस अकादमिक प्रकाशन की लेखिका डॉ. फरहत खान को महाराष्ट्र के पुणे में ढूंढ निकालने के बाद उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के तहत नोटिस तामील कराया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजेश कुमार सिंह ने बताया कि विवादास्पद पुस्तक ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’ को लेकर पांच दिन पहले मामला दर्ज किए जाने के बाद इसकी लेखिका डॉ. फरहत खान की अलग-अलग पुलिस दलों के जरिये मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में तलाश की जा रही थी।

उन्होंने कहा, ‘‘सुरागों के आधार पर हमने खान को पुणे में ढूंढ निकाला। हमने उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के तहत नोटिस तामील कराया है।”

सिंह के मुताबिक, नोटिस में कहा गया है कि लेखिका उनकी विवादित पुस्तक के मामले की जांच में पुलिस को सहयोग करेंगी और आरोप पत्र पेश किए जाने के वक्त अदालत में मौजूद रहेंगी।

पुलिस उपायुक्त के अनुसार, इंदौर निवासी खान गुर्दे (किडनी) की एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें अस्पताल में नियमित रूप से डायलिसिस करवानी होती है।

उन्होंने बताया, ‘‘लेखिका जब इंदौर से पुणे गईं, तब उन्हें महाराष्ट्र सीमा से लगे मध्य प्रदेश के सेंधवा कस्बे में भी डायलिसिस करानी पड़ी थी।’’

गौरतलब है कि ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’ पुस्तक को लेकर शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के एलएलएम पाठ्यक्रम के छात्र और एबीवीपी नेता लकी आदिवाल (28) ने लेखिका खान और इंदौर स्थित प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन के साथ ही संस्थान के प्राचार्य डॉ. इनामुर्रहमान और प्राध्यापक मिर्जा मोजिज बेग के खिलाफ तीन दिसंबर को प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का आरोप है कि महाविद्यालय के पुस्तकालय में रखवाकर कानून के विद्यार्थियों को पढ़ाई गई इस किताब में हिंदू समुदाय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिनसे धार्मिक कट्टरता को बल मिलता है।