जम्मू-कश्मीर: देश विरोधी गतिविधियों में शामिल तीन सरकारी कर्मचारी बर्खास्त

Rozanaspokesman

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सरकार ने संविधान की धारा 311 (2) (सी) के तहत इन तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया है।

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श्रीनगर: जम्मू कश्मीर सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ काम करने, उनके लिए धन जुटाने तथा उनकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के आरोप में कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी, एक पुलिस कांस्टेबल तथा राजस्व सेवा के एक अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

इन कर्मचारियों की पहचान कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी फहीम असलम, राजस्व सेवा के अधिकारी मुरावत हुसैन मीर तथा जम्मू कश्मीर पुलिस कांस्टेबल अरशिद अहमद ठोकेर के तौर पर की गई है।

उन्होंने बताया कि इन लोगों को नौकरी से इसलिए बर्खास्त किया गया है क्योंकि इनके खिलाफ कई आरोप हैं जिनमें पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ काम करना, आतंकवादियों के आने जाने में उनकी मदद करना, उनके लिए धन जुटाना, उनकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना तथा ‘अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाना’ आदि शामिल है।

सरकार ने संविधान की धारा 311 (2) (सी) के तहत इन तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया है। जांच में पाया गया कि ‘‘वे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तथा आतंकवादी संगठनों की तरफ से काम कर रहे थे’’ और इसके बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।

उन्होंने कहा कि असलम ‘‘एक कट्टर अलगाववादी है जो न केवल अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करता है बल्कि कश्मीर घाटी में आतंकवादियों तथा आतंकवादी संगठनों का प्रमुख प्रचारक भी है।’’

अधिकारियों ने कहा कि असलम के कई सोशल मीडिया पोस्ट में देश के प्रति ‘‘उसकी नफरत दिखाई देती है।’’

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने तीन अलग-अलग आदेश में कहा कि उप राज्यपाल मामले के तथ्यों तथा परिस्थितियों पर गौर करने के बाद इससे संतुष्ट हैं कि इन तीनों की गतिविधियां ऐसी हैं कि इन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए। उप राज्यपाल तत्काल प्रभाव से तीनों को सेवा से बर्खास्त करते हैं।

इन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उप राज्यपाल का प्रशासन ‘‘जम्मू कश्मीर में विघटन को संस्थागत बना रहीहै।’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ऐसे वक्त में जबकि राज्य पहले ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है आतंकवादी संबंधों के बेतुके कारणों पर आजीविका का अपराधीकरण करने से विश्वास में कमी और गहराएगी। यह भारतीय संविधान की धारा 311 (2) (सी) का दुरुपयोग करते हुए किया गया है। ’’