हुबली हिंसा: गिरफ्तार लोगों के परिवारों ने चुनाव बहिष्कार की दी धमकी, रिहाई की मांग

Rozanaspokesman

राज्य

पिछले साल अप्रैल में एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हिंसा भड़क गयी थी जिसके बाद 89 लोग गिरफ्तार किये गये थे।

हुबली में सांप्रदायिक झड़प के बाद धारा 144 लागू कर दी गई थी (फाइल फोटो)

हुबली : कर्नाटक के हुबली में हिंसा के सिलसिले में 89 लोगों को गिरफ्तार किये जाने के करीब सालभर बाद उनमें से कई के परिवारों ने दावा किया है कि उनके रिश्तेदार ‘निर्दोष’ हैं और वे अनपढ़ होने के कारण उनकी जमानत कराने में असमर्थ हैं । उन्होंने साथ ही कहा कि ऐसे में यदि आरोपियों को रिहा नहीं किया जाता है वे 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

पिछले साल भड़की थी हिंसा

पिछले साल अप्रैल में एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हिंसा भड़क गयी थी जिसके बाद 89 लोग गिरफ्तार किये गये थे। उग्र भीड़ ने थाने और हनुमान मंदिर पर हमला किया था। जिस सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हिंसा भड़की थी उसमें डिजिटल ढंग से छेड़छाड़ कर एक मस्जिद के ऊपर एक भगवा ध्वज को दिखाया गया था।

जो लोग इस हिंसा के सिलसिले में अब भी जेल में हैं उनमें से कुछ के परिवारों का दावा है कि उनके बच्चे एवं रिश्तेदार बेगुनाह हैं और उनकी ‘हिंसा में कोई भूमिका नहीं थी।’ कुछ स्थानीय निवासियों ने कहा, ‘‘ जो लोग गिरफ्तार किये गये हैं, उनमें से ज्यादातर को पुलिस ने मनमाने ढंग से पकड़ा था। हम निरक्षर हैं। हमें अपने बच्चों को छुड़ाने के वास्ते जमानत का आदेवन देने या अदालत से संपर्क करने के तौर तरीके की जानकारी नहीं है।’’

हुबली के नवा आनंद नगर की मुमताज ने कहा कि वह अपने बच्चे से सालभर से मिल नहीं पायी है। मुमताज का बेटा उन लोगों में शामिल है जो फिलहाल इस हिंसा के सिलसिले में कलबुर्गी जेल में हैं।. मुमताज ने कहा, ‘‘ मेरा बेटा हुबली में ऑटोरिक्शा चलाया करता था। पुलिस उसे गिरफ्तार कर कलबुर्गी जेल ले गयी और तब से मैंने उसकी आवाज नहीं सुनी। एक साल से अधिक समय बीत गया। मेरा बेटा बेगुनाह है। जब तक मेरे बेटे को जेल से रिहा नहीं किया जाता, तब तक मैं वोट नहीं डालूंगी।’’

हुबली में जो घटना घटी थी वह कथित सोशल मीडिया पोस्ट का परिणाम थी। अन्य लोगों ने इस पर ऐतराज करते हुए पुलिस में शिकायत की थी। जिस व्यक्ति ने यह पोस्ट किया था, उसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।