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आधुनिक बिहार के निर्माण की बात चलेगी तो डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा और सैयद अली इमाम का नाम होगा: रणबीर नंदन
Published : Mar 23, 2023, 4:15 pm IST
Updated : Mar 23, 2023, 4:15 pm IST
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If we talk about building modern Bihar, Dr. The names of Sachchidanand Sinha and Syed Ali Imam will be at the top: Ranbir Nandan
If we talk about building modern Bihar, Dr. The names of Sachchidanand Sinha and Syed Ali Imam will be at the top: Ranbir Nandan

बिहार की मौजूदा पहचान के लिए इन दोनों के संघर्ष को आजीवन याद रखा जाएगा।

पटना, ( संवाददाता) : जदयू के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद  रणबीर नंदन ने बिहार दिवस पर डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा और सर सैयद अली इमाम के कार्यों को याद करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि जब जब बिहार के आधुनिक बिहार के निर्माण की बात चलेगी, डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा और सर सैयद अली इमाम का नाम सबसे उपर होगा। बिहार की मौजूदा पहचान के लिए इन दोनों के संघर्ष को आजीवन याद रखा जाएगा। इन दोनों के प्रयासों का ही फल था कि 12 दिसम्बर 1911 को अंग्रेज़ी हुकूमत ने बिहार व उड़ीसा के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर इन काउंसिल का ऐलान कर दिया। जिसका नतीजा ये हुआ कि 22 मार्च 1912 को बिहार वजूद में आया।

नंदन ने कहा कि आधुनिक बिहार के निर्माण में सच्चिदानंद सिन्हा और सर सैयद अली इमाम का योगदान तो था ही, उसके बाद भी बिहार और देश के निर्माण में दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण रही।  सच्चिदानंद सिन्हा ने अपनी निजी संपत्तियों को दान में देकर बिहार के महत्वपूर्ण इमारतों के निर्माण में भूमिका निभाई। तो सर सैयद अली इमाम ने देश की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली ले जाने की मुहिम पर काम किया। उनके प्रयासों का ही फल था कि 13 फरवरी 1931 को भारत की नई राजधानी के रूप में दिल्ली का उद्घाटन किया गया। दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में की गई थी। इससे पहले भारत की राजधानी कलकत्ता में थी।

 नंदन ने कहा कि बिहार को गढ़ने में सच्चिदानंद सिन्हा ने अपना सर्वस्व लगा दिया। आज भले ही उनकी पहचान संविधान सभा के संस्थापक अध्यक्ष होने तक सीमित कर दी गई है। लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि डाॅ.सच्चिदानंद सिन्हा ने आधुनिक बिहार निर्माण के लिए जो किया, वो सदैव अमर रहेगा। बंगाल से अलग राज्य की परिकल्पना भी उनकी थी। देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद तो डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा और सर सैयद अली इमाम को आधुनिक बिहार का निर्माता की संज्ञा दी थी। उन्होंने कहा कि डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा की देन ही है कि बिहार की राजधानी पटना में बड़ी इमारतों से कई ऐसी हैं, जिनके लिए डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा ने ही अपनी जमीन दी थी।

सिन्हा लाइब्रेरी, बिहार विधानमंडल, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति तो डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा की दान दी हुई जमीन पर ही है। जबकि पटना एयरपोर्ट निर्माण के लिए भी डाॅ. सिन्हा ने 70 एकड़ से ज्यादा भूमि दान दिया था। पटना के मौजूदा स्वरूप को गढ़ने में डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा का बड़ा महत्व है। इसलिए उनके सम्मान के लिए भी कुछ किया जाना चाहिए।डाॅ. नंदन ने कहा कि डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा जी की दूरदर्शी सोच का परिणाम है कि आधुनिक भारत में आज बिहार की अपनी पहचान है।  नीतीश कुमार  मुख्यमंत्री बने तब से बिहार दिवस मनाने की शुरुआत हुई। ये नीतीश कुमार जी की ही देन है कि बिहार दिवस का आयोजन पूरे विश्व में बिहारियों द्वारा मनाया जाने लगा। आधुनिक बिहार के जन्म में सबसे बड़ा योगदान सच्चिदानंद सिन्हा का था और बिहार को विकास की चोटी तक ले जाने का पूरा श्रेय माननीय मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार  को है।

नंदन ने कहा कि डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा और सर सैयद अली इमाम को भावी पीढ़ी हमेशा याद रखेगी। इसके लिए दोनों की एक संयुक्त प्रतिमा लगाई जानी चाहिए। साथ ही हमारी मांग है कि दोनों बिहार विभूतियों के जीवन वृत्त को स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाया जाए, जिससे भावी पीढ़ी अपने पुरखों की शानदार विरासत को बचपन से ही जान ले।

Location: India, Bihar, Patna

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ROZANASPOKESMAN

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