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फेसबुक के मूल डिजाइन ने गलत सूचना रोकने की उसकी नीतियों को नुकसान पहुंचाया है : अध्ययन
Published : Sep 16, 2023, 4:21 pm IST
Updated : Sep 16, 2023, 4:21 pm IST
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Facebook's basic design harms its anti-misinformation policies: study
Facebook's basic design harms its anti-misinformation policies: study

शोधकर्ताओं ने पाया कि यह शेष विषयवस्तु भी और ज्यादा गलत सूचना वाली थी।

New Delhi: फेसबुक की गलत सूचना नीतियों का विश्लेषण करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि फेसबुक के मूल डिजाइन ने प्लेटफॉर्म पर फैली गलत सूचनाओं से निपटने के सोशल मीडिया कंपनी के प्रयासों को विफल कर दिया। अमेरिका के जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जब फेसबुक ने अपने एल्गोरिद्म में बदलाव किया और टीके संबंधी गलत सूचना से निपटने के लिए विषयवस्तु और अकाउंट को हटा दिया, तब भी प्लेटफॉर्म के डिजाइन ने इसे आगे बढ़ाया।

‘साइंस एडवांसेज’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कोविड​​-19 महामारी के दौरान ऐसी बहुत सी विषय वस्तु को हटाने के फेसबुक के महत्वपूर्ण प्रयास के बावजूद, टीका-विरोधी सामग्री में कोई कमी नहीं देखी गई।

वैज्ञानिकों ने कहा कि ये परिणाम उस चीज के परिणामस्वरूप हुए जिसके लिए प्लेटफॉर्म को डिजाइन किया गया है-समुदाय के सदस्यों को सामान्य हितों से जुड़ने में सक्षम बनाना, जिसमें टीका समर्थक और विरोधी दोनों तरह के विचार शामिल हैं।

अध्ययन के प्रमुख लेखक और इंजीनियरिंग प्रबंधन एवं सिस्टम इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डेविड ब्रोनिएटोव्स्की ने कहा, ‘‘फेसबुक को लोगों को समुदाय बनाने और किसी भी विषय पर आसानी से जानकारी का आदान-प्रदान करने की अनुमति देने के लिए डिजाइन किया गया है।’’

ब्रोनिएटोव्स्की ने कहा, ‘‘टीका रोधी विषयवस्तु को खोजने और साझा करने के लिए व्यक्ति सिस्टम का उपयोग उसी तरह कर रहे हैं जिस तरह से इसे उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य या अन्य सार्वजनिक सुरक्षा चिंताओं के खिलाफ उन व्यवहारों को संतुलित करना कठिन हो जाता है।’’

शोधकर्ताओं ने कहा कि सोशल मीडिया से नहीं हटाई गई बाकी टीका विरोधी सामग्री में ऑफ-प्लेटफॉर्म (नयी विषयवस्तु की सूचना), कम विश्वसनीयता वाली साइट और ‘‘वैकल्पिक’’ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिंक की संख्या में वृद्धि हुई है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि यह शेष विषयवस्तु भी और ज्यादा गलत सूचना वाली थी। इसमें टीके के दुष्प्रभावों के बारे में सनसनीखेज झूठे दावे शामिल थे जो अक्सर वास्तविक समय में तथ्यों की जांच करने के लिए बहुत नए थे।

ब्रोनिएटोव्स्की ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) व्यवस्था के बारे में चर्चा काफी हद तक विषयवस्तु या एल्गोरिद्म के आसपास घूमती है। उन्होंने कहा, ‘‘गलत सूचना और अन्य ऑनलाइन नुकसान से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, हमें सामग्री और एल्गोरिद्म से आगे बढ़कर डिजाइन और संरचना पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।’’

ब्रोनिएटोव्स्की ने कहा, ‘‘सामग्री को हटाना या एल्गोरिद्म बदलना अप्रभावी हो सकता है यदि यह उस चीज को नहीं बदलता जिसके लिए प्लेटफॉर्म डिजाइन किया गया है। यदि आप (सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के विरुद्ध टीका-विरोधी व्यवहार) को संतुलित करना चाहते हैं, तो आपको संरचना को बदलना होगा।’’

शोधकर्ताओं ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डिजाइन करने वाले ऑनलाइन नुकसान को कम करने और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य द्वारा सूचित अपने प्लेटफॉर्म के लिए ‘‘बिल्डिंग कोड’’ का एक सेट विकसित कर सकते हैं।

Location: India, Delhi, New Delhi

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ROZANASPOKESMAN

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