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गरीबों और हाशिये पर मौजूद लोगों की आवाज बनना चाहती हैं केरल की पहली ट्रांसजेंडर वकील
Published : Mar 21, 2023, 1:43 pm IST
Updated : Mar 21, 2023, 1:43 pm IST
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Kerala's first transgender lawyer wants to be the voice of the poor and marginalized
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उन्होंने कहा, ‘‘ मैं हर तरह की नकारात्मकता को नजरअंदाज करती हूं, चाहे वह लोग हों या उनकी टिप्पणियां।

कोच्चि : भौतिकी में स्नातक, बीमा एजेंट के रूप में काम, कानून की पढ़ाई और फिर वकील बनने तक के सफर में विषमताओं के बावजूद हार न मानने वाली केरल की पहली किन्नर वकील पद्म लक्ष्मी का कहना है कि उनका लक्ष्य गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित कर उनकी मदद करना है।

पद्म लक्ष्मी मानती हैं कि उनकी जिंदगी का सफर आसान नहीं है लेकिन उनके सकारात्मक रवैये और नकारात्मकता को नजरअंदाज करने की उनकी आदत ने उन्हें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं हर तरह की नकारात्मकता को नजरअंदाज करती हूं, चाहे वह लोग हों या उनकी टिप्पणियां। मैं सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करती हूं। मुझे विश्वास है कि यह मेरे फायदों में से एक है। अगर मैं नकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करती हूं, तो मेरे पास केवल उसके लिए समय होगा और जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ूंगी।’’

पद्म लक्ष्मी ने अपनी चिकित्सा और शिक्षा संबंधी खर्च को पूरा करने के लिए एक निजी बीमा कंपनी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के लिए एक बीमा एजेंट के रूप में भी काम किया, जिसमें कानूनी जानकारियां वालीं पाठ्यपुस्तकें भी शामिल थीं। हालांकि, वह इन किताबों और अपने कानूनी ज्ञान को किसी के साथ साझा करने के लिए बेहद उत्सुक भी हैं।

पद्म लक्ष्मी ने अपनी वरिष्ठ अधिवक्ता के वी भद्रकुमारी के पास एक प्रशिक्षु के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे एक बीमा एजेंट के रूप में काम करना बंद कर दिया, ताकि वह अपने कानून के करियर पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर सके।

पद्म लक्ष्मी ने कहा कि उनके वरिष्ठ सहयोगियों ने केरल उच्च न्यायालय में कानूनी पेशे के दिग्गज लोगों के बीच उनके लिए जगह बनाने में मदद की। उन्होंने के वी भद्रकुमारी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ मेरे वरिष्ठ सहयोगियों ने हमेशा मुझे बताया है कि संविधान हमारा सबसे बड़ा हथियार है। ’’ केरल में 19 मार्च को कानून के 1500 से अधिक विधि स्नातकों ने अधिवक्ता के रूप में अपना नामांकन कराया। लक्ष्मी को सबसे पहले नामांकन प्रमाण पत्र मिला।

अब लक्ष्मी न तो विधि में स्नातकोत्तर करना चाहती हैं और न ही उनकी इच्छा न्यायिक सेवा के लिए प्रयास करने की है। उन्होंने कहा ‘‘मेरी प्राथमिकता ऐसे मामलों को उठाना है जिनमें मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया हो। मैं गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लड़ना चाहती हूं।’’

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ROZANASPOKESMAN

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