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SC ने मणिपुर हिंसा से संबंधित CBI मामलों की सुनवाई को असम किया स्थानांतरित
Published : Aug 26, 2023, 12:31 pm IST
Updated : Aug 26, 2023, 12:31 pm IST
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SC transfers hearing of CBI cases related to Manipur violence to Assam
SC transfers hearing of CBI cases related to Manipur violence to Assam

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष (कुकी और मेइती) प्रभावित हुए हैं... घाटी और पहाड़ी दोनों ही क्षेत्रों में लोग पीड़ित हैं।

New Delhi:  सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर हिंसा से संबंधित जिन 17 मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है, उसकी सुनवाई पड़ोसी राज्य असम में होगी और उसने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मामलों की सुनवाई के लिए एक या अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करने का निर्देश दिया। इन मामलों में दो महिलाओं को कथित तौर पर निर्वस्त्र कर घुमाने का मामला भी शामिल है।

शीर्ष अदालत ने अदालतों द्वारा पीड़ितों और गवाहों की ऑनलाइन गवाही सहित न्यायिक प्रक्रियाओं पर कई निर्देश दिए, जिसमें कहा गया कि उसे ‘‘वर्तमान चरण में, मणिपुर के समग्र वातावरण और एक निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए’’ जारी किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कई वकीलों की उन दलीलों को खारिज कर दिया, जो सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे मामलों को असम में स्थानांतरित करने का विरोध कर रहे थे।.

पीठ ने केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि यह सुझाव वहां बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। मेहता ने कहा, ‘‘असम में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के चलते हमने इसका चयन किया है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष (कुकी और मेइती) प्रभावित हुए हैं... घाटी और पहाड़ी दोनों ही क्षेत्रों में लोग पीड़ित हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि किसने अधिक कष्ट उठाया, हम केवल व्यावहारिक कठनाइयों पर विचार कर रहे हैं।’’ निर्देश जारी करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हम गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वे मुकदमों की सुनवाई के लिए असम के गुवाहाटी में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी/सत्र न्यायाधीश के पद से ऊपर के एक या एक से अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करें। मुख्य न्यायाधीश ऐसे न्यायाधीशों का चयन करें, जो मणिपुर की एक या अधिक भाषाओं के जानकार हों।’’

पीठ ने कई निर्देश देते हुए कहा कि आरोपियों की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत और इसके विस्तार से संबंधित न्यायिक कार्यवाही गुवाहाटी में एक विशेष अदालत में ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। निर्देश में कहा गया है कि आरोपियों को अगर न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है या जब भी ऐसा किया जाएगा, तो उन्हें गुवाहाटी स्थानांतरण से बचने के लिए मणिपुर में ही न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा।.

इसमें कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत गवाहों के बयान को मणिपुर में स्थानीय मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में दर्ज करने की अनुमति है।

सुपर्ीम कोर्ट  ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने के उद्देश्य से आवश्यकता पड़ने पर एक या अधिक मजिस्ट्रेट नियुक्त करेंगे।.

इसने कहा कि आरोपियों की पहचान करने के लिए आयोजित पहचान परेड को मणिपुर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित मजिस्ट्रेट के साथ ही मणिपुर स्थित मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करने की अनुमति है।.

इसमें कहा गया है, ‘‘तलाशी और गिरफ्तारी वारंट मांगने जैसे आवेदन जांच अधिकारी द्वारा ऑनलाइन माध्यम से जारी किए जाएंगे।’’.

एक पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलों पर ध्यान देते हुए, पीठ ने पीड़ितों, गवाहों और सीबीआई मामलों से संबंधित अन्य लोगों को गुवाहाटी की नामित अदालतों के समक्ष उपस्थित होने की अनुमति दी, यदि वे ऑनलाइन उपस्थित नहीं होना चाहते हैं। पीठ ने मणिपुर सरकार को गुवाहाटी की अदालत में ऑनलाइन माध्यम से सीबीआई मामलों की सुनवाई की सुविधा के लिए उचित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली महिला न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति के सुचारू कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए एक सितंबर को ‘‘कुछ प्रक्रियात्मक निर्देश’’ पारित करेगी।

शीर्ष अदालत ने 21 अगस्त को मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए यह समिति गठित की थी। दस से अधिक मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था। इनमें उन दो महिलाओं के बर्बर यौन उत्पीड़न से संबंधित मामला भी शामिल है, जो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था।.

सुप्रम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने आशंका जताई है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान यहां के कई निवासी अपने पहचान दस्तावेज खो चुके होंगे। विस्थापितों को पहचान पत्र उपलब्ध हों और पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना का विस्तार हो सके, यह सुनिश्चित करने के लिए समिति ने इस संबंध में शीर्ष अदालत से राज्य सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) सहित अन्य को निर्देश देने का अनुरोध किया है। समिति ने अपनी कार्यप्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए पहचान दस्तावेजों के पुनर्निर्माण, मुआवजे के उन्नयन और विशेषज्ञों की नियुक्ति की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए तीन रिपोर्ट प्रस्तुत की थीं।.

बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने पर राज्य में तीन मई को पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।

Location: India, Delhi, New Delhi

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