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Supreme Court News: विवाह अमान्य घोषित होने पर गुजारा भत्ता देने या न देने पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
Published : Aug 26, 2024, 11:51 am IST
Updated : Aug 26, 2024, 11:51 am IST
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Supreme Court News: Supreme Court will consider whether to give alimony if marriage is declared invalid
Supreme Court News: Supreme Court will consider whether to give alimony if marriage is declared invalid

अन्य पीठों के दो फैसलों में माना गया है कि इस अधिनियम में विवाह शून्य घोषित होने के बाद भरण पोषण नहीं दिया जाएगा।

Supreme Court News: हिंदू विवाह अधिनियम में विवाह के अमान्य घोषित होने के बाद क्या भरण पोषण यानी गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है और ऐसे मामलों में भरण पोषण दिया जाएगा या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ विचार करेगी। दो न्यायाधीशों की पीठों के परस्पर विरोधी फैसलों को देखते हुए अब मामला विचार के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया है। इस मामले में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25 की व्याख्या का मुद्दा शामिल है जो कि वैवाहिक विवाद विचाराधीन रहने के दौरान अंतरिम और फिर बाद में स्थायी भरण पोषण से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की पीठों ने पूर्व में दिए पांच फैसलों में माना है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाह शून्य घोषित होने के बाद भी भरण पोषण दिया जाएगा जबकि अन्य पीठों के दो फैसलों में माना गया है कि इस अधिनियम में विवाह शून्य घोषित होने के बाद भरण पोषण नहीं दिया जाएगा।

हिंदू विवाह अधिनियम में अदालत से शून्य घोषित विवाह में पत्नी के भरण पोषण से संबंधित ऐसा ही एक मामला गुरुवार 22 अगस्त को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बालचंद्र वराले की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था। पत्नी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवनी ने पीठ को बताया कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत शून्य घोषित विवाह पर भरण पोषण देने के मामले में दो न्यायाधीशों की विभिन्न पीठों के परस्पर विरोधी फैसले हैं। ऐसे में इस मामले पर अब तीन न्यायाधीशों की पीठ के सुनवाई करने की जरूरत है। पीठ ने पक्षकारों के वकीलों की यह बात आदेश में दर्ज करने के साथ ही फैसले में उन पूर्व आदेशों को भी दर्ज किया जो भरण पोषण देने और भरण पोषण न देने के बारे में हैं।

हिंदू विवाह अधिनियम

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 वैवाहिक विवाद अदालत में लंबित रहने के दौरान अंतरिम भरण पोषण का प्रविधान करती है जबकि धारा 25 में स्थाई भरण पोषण का प्रविधान है। धारा 11 कहती है कि अगर धारा पांच में दी गई शर्तों जैसे विवाह के समय न तो वर की जीवित पत्नी हो और न ही वधू का कोई जीवित पति होना चाहिए यानी द्वि-विवाह का तत्व शामिल नहीं होना चाहिए। दोनों पक्षों के बीच पति-पत्नी संबंध की निषिद्धता नहीं होनी चाहिए और तीसरी दोनों पक्ष रूढि और प्रथाओं के मुताबिक सपिंड नहीं होने चाहिए। शर्तों का उल्लंघन होने पर विवाह अमान्य होगा और किसी भी पक्षकार की अर्जी पर विवाह शून्य या अमान्य हो जाएगा। मौजूदा मामले में कोर्ट ने विवाह को शून्य घोषित कर दिया था। इसके बाद पत्नी ने भरण पोषण की अर्जी दी और हाई कोर्ट ने भरण पोषण देने का पति को आदेश दिया था जिसके खिलाफ पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

विरोध में ये फैसले
- चांद घवन बनाम जवाहरलाल धवन (1993)
2- रमेशचंद्र रामप्रतापजी दागा बनाम रामेश्वरी रमेशचंद्र दागा (2005

पक्ष में हैं ये फैसले
1. यमुनाबाई अनंतराव आधव बनाम अनंतराव शिवराम आधव (1988)
2. अब्बायोल्ला बनाम पद्माम्मा (1999)
3. नवदीप कौर बनाम दिलराज सिंह (2003)
4. भाउसाहेब बनाम लीलाबाई (2004)
5. सविताबेन सोमाभाई  भाटिया बनाम स्टेट आफ गुजरात

(For more news apart from Supreme Court News: Supreme Court will consider whether to give alimony if marriage is declared invalid, stay tuned to Rozana Spokesman hindi)
 

Location: India, Delhi, New Delhi

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