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निकहत जरीन: 2022 में भारतीय मुक्केबाजी में निकहत ने रचा इतिहास, बनी रिंग की रानी
Published : Dec 21, 2022, 3:40 pm IST
Updated : Dec 21, 2022, 3:40 pm IST
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Nikhat Zareen: Nikhat created history in Indian boxing in 2022, became the queen of the ring
Nikhat Zareen: Nikhat created history in Indian boxing in 2022, became the queen of the ring

भारत को जहां मुक्केबाजी रिंग में अच्छी सफलताएं मिली वहीं उसे अगले साल होने वाली महिला विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी भी मिली।

New Delhi :  भारत के लिए मुक्केबाजी में वर्ष 2022 ऐतिहासिक प्रदर्शन वाला रहा जिसमें देश को निकहत जरीन के रूप में एक नई स्टार मिली तो दिग्गज एमसी मेरीकॉम को निराशा हाथ लगी। भारत को जहां मुक्केबाजी रिंग में अच्छी सफलताएं मिली वहीं उसे अगले साल होने वाली महिला विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी भी मिली। इस बीच वैश्विक स्तर पर इस खेल की ओलंपिक में मौजूदगी पर आशंका के बादल छाए रहे।

कई वर्ष मेरीकॉम के साए में बिताने के बाद निकहत को जब मौका मिला तो उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया। उन्होंने उस फ्लाईवेट वर्ग में अपना जलवा दिखाया जिसमें कई वर्षों तक छह बार की विश्व चैंपियन मेरीकॉम का दबदबा रहा था।

निकहत ने वर्ष 2022 में स्वर्ण पदकों की हैट्रिक लगाई। वह प्रतिष्ठित स्ट्रैंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में दूसरा स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी। इसके बाद उन्होंने मेरीकॉम के पदचिन्हों पर चलते हुए विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीता। यह पिछले चार वर्षों में किसी भारतीय का पहला खिताब था।

यह 26 वर्षीय मुक्केबाज राष्ट्रमंडल खेलों में खिताब की प्रबल दावेदार के रूप में उतरी थी और उन्होंने 50 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर निराश भी नहीं किया।

निकहत जहां रिंग की रानी बनकर सामने आई वहीं दिग्गज मेरीकॉम के लिए यह वर्ष अच्छा नहीं रहा। उन्होंने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों पर ध्यान देने के लिए विश्व चैंपियनशिप और स्थगित किए गए एशियाई खेलों से हटने का फैसला किया था।

लेकिन लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता और छह बार की विश्व चैंपियन मेरीकॉम ट्रायल्स में नीतू घंघास के खिलाफ मुकाबले के दौरान चोटिल हो गई और उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में अपने खिताब का बचाव करने का मौका नहीं मिला।

एशियाई खेल अब अगले वर्ष सितंबर में होंगे और यदि 40 वर्षीय मेरीकॉम फिट रहती हैं तो यह उनका आखिरी टूर्नामेंट हो सकता है।

पुरुष मुक्केबाजों ने अमित पंघाल पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में पदक के प्रबल दावेदार थे लेकिन वह शुरू में ही बाहर हो गए थे। रोहतक के इस मुक्केबाज ने हालांकि राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर शानदार वापसी की।

अनुभवी शिव थापा ने भी एशियाई चैंपियनशिप में अपना छठा पदक जीतकर इतिहास रचा। फाइनल में हालांकि चोटिल होने के कारण उन्हें मुकाबले के बीच में से हटकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा था।

तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर सुर्खियां बटोरने वाली लवलीना बोरगोहेन इस साल कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों से पहले अपनी निजी कोच संध्या गुरंग को ‘एक्रीडेशन’ नहीं मिलने का मुद्दा उठाया। यह मामला सुलझने के बाद हालांकि वह क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई थी।

इस 25 वर्षीय मुक्केबाज ने हालांकि इस निराशा को भुलाकर एशियाई चैंपियनशिप में 75 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। लवलीना इससे पहले 69 किग्रा भार वर्ग में भाग लेती थी लेकिन इसे ओलंपिक से हटा दिया गया है।

ओलंपिक में मुक्केबाजी के भविष्य को लेकर भी वर्ष 2022 में अटकलें लगाई जाती रही। संचालन संबंधी कई मसलों के कारण लॉस एंजिल्स में 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों के शुरुआती खेलों से मुक्केबाजी को हटा दिया गया है।

अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ इस खेल को ओलंपिक में वापसी दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने अब भी उमर क्रेमलेव की अगुवाई वाले वर्तमान संघ के कार्यों को लेकर चिंता जताई है।

Location: India, Delhi, New Delhi

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ROZANASPOKESMAN

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