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मछुआरों की योजनाओं में नोडल एजेंसी बनाने की मांग को लेकर कॉफ्फेड ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
Published : Aug 5, 2023, 3:25 pm IST
Updated : Aug 5, 2023, 3:25 pm IST
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राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में कई बार मुद्दा उठाने के बावजूद समाधान नहीं हो रहा है।

पटना: मछुआरों की सहकारी संस्था कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को  राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलकर मछुआरों के हित में कॉफ्फेड को राज्य में चल रही योजनाओं का नोडल एजेंसी बनाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की है। मछुआरे मछली पालन के गुर सीख सके इसके लिए कॉफ्फेड को सहकारी मछली प्रबंधन संस्थान खोलने के लिए तीन एकड़ जमीन देने की भी मांग की है। कॉफ्फेड ने राज्यपाल से बिहार के मछुआरों की स्थिति पर चर्चा की और उन्हें मछुआरों से संबंधित ज्ञापन देकर मछली उत्पादक किसानों के मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की। राज्यपाल ने उन्हें हर संभव मदद करने का भरोसा दिया। कॉफ्फेड के प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष प्रयाग सहनी, निदेशक  बी एन सिन्हा और प्रदीप कुमार सहनी शामिल थे ।

कश्यप ने कहा कि बिहार में राज्य सरकार के नकारात्मक रवैये से प्रदेश में 14 प्रतिशत वाली मछुआरों की आबादी आज अपने घरों और पेशे से पलायन करने को मजबूर है। बिहार में लगभग सात लाख हेक्टर प्राकृतिक  जल संसाधन मौजूद रहने के बावजूद मछली उत्पादन में पिछडा हुआ है, पूरे राज्य में वर्ष 2022-23 में 8.46 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ जबकि मांग 10.50 लाख टन हैं। 2 लाख टन मछली का आयात आंध्र प्रदेश एवं पश्चिमी बंगाल से किया जाता है। इस राज्य में मत्स्य के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं । बिहार देश का नंबर वन मछली निर्यातक राज्य बन सकता है । अकेले मत्स्यपालन, मत्स्य विपणन, प्रसंस्करण एवं निर्यात के क्षेत्र मे 20 लाख लोगों को रोजगार दिया जा सकता है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का ध्यान मछुआरों की समस्याओं पर आकृष्ट करते हुए कश्यप ने कहा कि
 मछली पालक किसानों को बैंक किसान क्रेडिट कार्ड और ऋण नहीं दे रहा है ।

राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में कई बार मुद्दा उठाने के बावजूद समाधान नहीं हो रहा है । मत्स्य निदेशालय द्वारा विभिन्न जिलों में कैंप लगाकर 10921 आवेदन विभिन्न बैंकों को भेजा गया पर मात्र 304 आवेदन ही स्वीकृत हुए । बैंक मछली पालकों के साथ आम ऋण दाता की तरह व्यवहार करता है  जबकि केंद्र सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड की तरह मत्स्य किसान क्रेडिट कार्ड निर्गत करने का निर्देश दिया है। 

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने एक रूपये की बंदोबस्ती पर मछुआरों को सरकारी तालाब देने की घोषणा की थी पर एक दशक बीत जाने के बाद भी उस पर कोई कर्रवाई नहीं की । राज्य में मछुआरा आयोग भंग है । आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों का मनोनयन अविलंब किया जाय जिससे मछुआरा अपनी समस्याओं का निदान पा सके ।

 कश्यप ने कहा कि मछुआरों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मछुआ दुर्घटना बीमा योजना एवं  मत्स्य फसल बीमा योजना और अन्य योजनाओं का लाभ बिहार सरकार की  ढुलमुल रवैये से नहीं मिल रहा है।  मछुआरों के हित में राज्यपाल  से राज्य सरकार को 16 लाख सदस्यों वाली मछुआरों की सहकारी संगठन कॉफ्फेड को नोडल एजेंसी बनाने का सरकार को निदेश देने की मांग की गई । इसके अलावा बिहार में सहकारी मछली प्रबंधन संस्थान नहीं है जिससे मछली उत्पादक किसान अपने मछली उत्पादन में आधुनिक नवाचार प्रबंधन का प्रयोग कर लाभ कमा सके। सरकार कॉफ्फेड को तीन एकड़ जमीन उपलब्ध कराये जिससे कॉफ्फेड अपने 73 वर्षों के अनुभव के आधार पर सहकारी मछली प्रबंधन संस्थान खोल सके।

Location: India, Bihar, Patna

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