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हिमाचल में भारी बारिश के कारण हुए नुकसान का आकलन शुरू, मृतकों की संख्या बढ़कर 31 हुई
Published : Jul 12, 2023, 10:16 am IST
Updated : Jul 12, 2023, 10:16 am IST
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फोटो साभार-PTI
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार अकेले कुल्लू के सैंज क्षेत्र में लगभग 40 दुकानें और 30 मकान बह गए।

शिमला:  हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और जगह जगह हुए भूस्खलन के बाद अधिकारियों ने मंगलवार को राज्य में हुई तबाही का जायजा लेना शुरू कर दिया है। राज्य में बारिश के कारण हुई दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गयी है। भूस्खलन और बाढ़ के कारण लगभग 1,300 सड़कें अवरुद्ध हो गईं जबकि 40 बड़े पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार अकेले कुल्लू के सैंज क्षेत्र में लगभग 40 दुकानें और 30 मकान बह गए। सुक्खू ने आज कसोल, मणिकरण, खीर गंगा और पुलगा क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। राज्य की कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सतवंत अटवाल ने बताया कि पिछले तीन दिनों में हुई भारी बारिश के कारण 31 लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि लाहौल और स्पीति जिले के चंद्रताल में 250 जबकि सिस्सू में 300 और मंडी जिले के कुछ हिस्सों में 300 पर्यटक फंसे हुए हैं।

लाहौल और स्पीति जिले में चंद्रताल झील क्षेत्र में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए भेजे गए भारतीय वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर को खराब मौसम के कारण वापस लौटना पड़ा। हालांकि, मंगलवार को थोड़ी बारिश हुई, जिससे अधिकारियों को क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की बहाली में तेजी लाने में मदद मिली।

अधिकारियों ने कहा कि शिमला-कालका राजमार्ग को एकतरफा यातायात के लिए आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया है। हालांकि, सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में वाहन फंसे हुए हैं। राजमार्ग पर जाबली के पास चक्की मोड़ क्षेत्र में भूस्खलन के बाद एक जगह धंसने के कारण वाहनों का आवागमन बंद हो गया था। राज्य के शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर कहा है कि सभी सरकारी स्कूल 15 जुलाई तक बंद रहेंगे।

राज्य लोक सेवा आयोग ने खराब मौसम के मद्देनजर हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा प्रतियोगी (प्रारंभिक) परीक्षा को अब 20 अगस्त को आयोजित करने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हुई भारी बारिश से राज्य को अत्यधिक क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में एक भी पंचायत क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां सड़कें और जलापूर्ति योजनाएं क्षतिग्रस्त नहीं हुई हों।

सतवंत अटवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ जैसे ही बादल छंटेंगे, फंसे हुए पर्यटकों को बचाने का पुनः प्रयास किया जाएगा। ’’ हेलीकॉप्टर ने दोपहर करीब 12 बजे भुंतर से पहली उड़ान भरी, लेकिन खराब मौसम और घने बादलों के कारण उसे वापस लौटना पड़ा। अटवाल ने फंसे हुए लोगों से हौसला बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें बचाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

डीजीपी ने लोगों से अफवाहें न फैलाने की अपील करते हुए कहा, ‘‘ हम आप तक पहुंच रहे हैं। सभी सरकारी एजेंसियां लोगों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।’’

चंद्रताल झील क्षेत्र में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए भारतीय वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर को बुलाया गया था जबकि काजा से एक बचाव दल कुंजुम दर्रा पहुंच गया है तथा वह झील से महज आठ किलोमीटर दूर है। प्रधान सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

ओंकार चंद शर्मा ने कहा, ‘‘उनमें से दो को अत्यधिक ऊंचाई होने के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही है तथा उन्हें हवाई मार्ग से निकाला जाएगा।’’ उन्होंने बताया कि वहां फंसे सभी लोगों को मंगलवार रात तक सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सोमवार को पर्वतीय राज्य में विभिन्न स्थानों से करीब 100 लोगों को बचाया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, लाहौल के चंद्रताल और पागल नाला तथा मंडी के विभिन्न हिस्सों में अब भी करीब 800 लोग फंसे हुए हैं।

राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र के अनुसार, 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से हिमाचल को 1,050 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और 80 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 10 लोग लापता हैं। राज्य आपात अभियान केंद्र के अनुसार पिछले तीन दिन से भारी बारिश के कारण शिमला-कालका और मनाली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग समेत 1,299 सड़कें अवरुद्ध हो गयी हैं।

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि हिमाचल रोडवेज परिवहन निगम (एचआरटीसी) के 1,284 मार्गों पर बस सेवाएं निलंबित हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 79 मकान पूरी तरह से जबकि 333 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

कुल्लू और मनाली में 2,577 ट्रांसफार्मर बंद होने के कारण कई इलाकों में बिजली गुल है जबकि शिमला समेत कई इलाकों में जलापूर्ति भी बाधित है। राज्य की राजधानी शिमला सहित कई इलाकों में पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हुई।

भूस्खलन के कारण सड़कें अवरुद्ध होने से मनाली शहर और उसके आसपास के इलाकों का संपर्क राज्य के बाकी हिस्सों से टूट गया है। मोबाइल कनेक्टिविटी पर भी असर पड़ा है।

कुल्लू के उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने बताया कि सोमवार शाम से बारिश रुक गयी है और नदियों में जल स्तर कम होने के कारण बचाव अभियान तथा सड़कों की मरम्मत के काम ने गति पकड़ ली है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि मनाली में आज मोबाइल नेटवर्क काम करना शुरू कर देगा।’’

गर्ग ने बताया कि मनाली, कसोल और पार्वती घाटी में सड़क संपर्क बहाल करने के लिए कर्मियों तथा मशीनों को तैनात किया गया है तथा मनाली रोड पर जल्द ही हल्के वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि कुल्लू और मनाली में राहत शिविर लगाए गए हैं और वहां फंसे लोगों की देखभाल की जा रही है।

सोलन के उपनगर शामती में भूस्खलन से दो मकानों तथा एक कार्यालय को नुकसान पहुंचने की भी खबरें हैं। इस बीच, भारी बारिश के कारण अत्यधिक क्षति होने के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने अपने मानसून और ग्रीष्मकालीन अवकाश में फेरबदल करने का निर्णय लिया है।

उच्च शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक अभूतपूर्व बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से सड़कों के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। प्रतिकूल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और छात्रों तथा कर्मचारियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मानसून अवकाश को पुनर्निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है।.

राज्य में 15,000 से अधिक सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से लगभग 65 प्रतिशत गर्मियों में और 35 प्रतिशत सर्दियों में बंद होने वाले स्कूल हैं। आदेश के अनुसार, कुल्लू जिले में 23 दिन का मानसून अवकाश 23 जुलाई से 14 अगस्त की बजाय 10 जुलाई से एक अगस्त तक कर दिया गया है। लाहौल और स्पीति जिले में 42 दिवसीय ग्रीष्मकालीन अवकाश अब 17 जुलाई से 27 अगस्त के स्थान पर 10 जुलाई से 20 अगस्त तक किया गया है।

इस बीच, सिरमौर, शिमला, मंडी और किन्नौर जिलों के कुछ हिस्सों में मंगलवार को भारी से बहुत भारी बारिश हुई। नाहन में सर्वाधिक 250 मिमी बारिश हुई, इसके बाद धौलाकुआं (138.5 मिमी), जुब्बरहट्टी (90 मिमी), कुफरी (67 मिमी), नारकंडा (65 मिमी), शिमला (64 मिमी), मशोबरा (60.5 मिमी), कल्पा (48 मिमी), रिकांग पिओ (42 मिमी), मंडी (46 मिमी) और सुंदरनगर में (45 मिमी) बारिश हुई।

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