![Petition in the High Court against the strike of Maharashtra state government employees Petition in the High Court against the strike of Maharashtra state government employees](/cover/prev/ck8l39e3t7qmktjajd7brdpmh2-20230316170308.Medi.jpeg)
याचिका में कहा गया है कि इससे मरीजों और छात्रों को परेशानी हो रही है।
मुंबई : महाराष्ट्र राज्य सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल को तुरंत वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए बंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे मरीजों और छात्रों को परेशानी हो रही है। इस याचिका पर शुक्रवा को सुनवाई हो सकती है। राज्य सरकार के कर्मचारी 2005 में समाप्त की गई पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग को लेकर 14 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
अधिवक्ता गुणरतन सदव्रते द्वारा दी गई याचिका में कहा गया है कि इस हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी स्कूलों तथा कॉलेजों में शिक्षा प्रभावित हो रही है।
इसमें कहा गया है कि इस आंदोलन के कारण सरकारी अस्पतालों के मरीजों को परेशानी हो रही है। सदाव्रते ने दावा किया कि यह हड़ताल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान हुई है।
इसमें कहा गया है, ‘‘समय पर इलाज नहीं मिलना और हड़ताल के कारण सर्जरी टलना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।’’ उसमें कहा गया है कि आवेदक कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ नहीं है, लेकिन हड़ताल पर जाने से सामान्य लोगों और छात्रों को परेशानी होती है।
सदव्रते ने याचिका में कहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हड़ताली कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान देने के लिए समिति गठित करने की घोषणा की है। इसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी ‘गैरकानूनी हड़ताल’ पर गए हैं और उन्होंने उनकी मांगों की दिशा में उठाए गए ‘‘सकारात्मक कदमों’’ पर ध्यान नहीं दिया।
सदाव्रते ने यह भी दावा किया कि हड़ताल महाराष्ट्र आवश्यक सेवा संचालन अधिनियम, 2023 (एमईएसएमए) का उल्लंघन है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस. वी. गंगापुरवाला की खंडपीठ इस अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई कर सकती है।