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Haryana News: जल प्रबंधन की दिशा में अहम होगा हरियाणा का राजस्थान से समझौता
Published : Mar 1, 2024, 11:57 am IST
Updated : Mar 1, 2024, 11:57 am IST
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Haryana's agreement with Rajasthan will be important in the direction of water management News in hindi
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अब अतिरिक्त जल से भिवानी, चरखी, दादरी और हिसार के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जलापीर्ति बढ़ाई जाएगी.

Haryana News:  हरियाणा सरकार इस बार बजट सत्र में बेहतर जल प्रबंधन की प्रतिबद्धता दोहराती नजर आई। मानसून सीजन में नदियों में व्यर्थ बहने वाले बाढ़ के अतिरिक्त पानी के सदुपयोग का रास्ता तो निकाला ही गया, हरियाणा के सूखाग्रस्त इलाकों तक पानी पहुंचाने की योजना भी तैयार की गई है। पश्चिमी जमुना नहर की बढ़ी हुई  24 हजार क्यूसिक की क्षमता के बाद इस नहर में बहने वाला अतिरिक्त  पानी हरियाणा और राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में उपयोग होगा। कई मौके ऐसे आए, जब पश्चिमी है यमुना नगर में दो से आठ लाख स्थित क्यूसिक तक पानी बहा, जिसने न  केवल हरियाणा और उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी तबाही हुई. अब अतिरिक्त जल से भिवानी, चरखी, दादरी और हिसार के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जलापीर्ति बढ़ाई जाएगी.

पिछले दिनों हरियाणा और राजस्थान सरकारों के बीच हुए समझौते के बाद बारिश व बाढ़ के अतिरिक्त पानी का इस्तेमाल दोनों राज्य कर  सकेंगे. परियोजनाओं का विस्तृत ब्योरा दोनों राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से बनाई जानेवाली प्रोजेक्ट रिपोर्टसे सामने आएगा. परियोजना से जुलाई से अक्टूबर के दौरान अतिरिक्त जल आपूर्ति होगी. बीते कई दशक से जलप्रबंधक की बेहतर और कामगार नीति केआभाव में हरियाणा जल संकट की तरफ बढ़ता चला गया. बेहतर फसल पाने की ताह में हरियाणा में भूमिगल जल का सीमा से अधिक उपयोग हुआ. प्रदेश के 36 खंड डार्क जोन में आ गए. हरियाणा में हर साल कुल 35 लाख करोड़ लीटर पानी की मांग  है.इसमें से सरपेस, ग्राउंड और ट्रीटेड वाटर के जरिए करीब 21 लाख करोड़ पानी की आपूर्ति ही हो पाती है. 

प्रदेश में हर साल करीब 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी बनी रहती है. प्रदेश को हर वर्ष 15.95 लाख करोड़ लीटर नदी जल के आवंटन का प्रावधान है. लेकिन बीते 12 वर्ष में प्रदेश को हर साल औसतन 11.68 लक करोड़ लीटर नदी जल की आपूर्ति ही हो पाई है. पंजाब के अड़ियल रवैये की वजह से एसवाईएल नहर से 3.5 लाक करोड़ लीटर नदी जल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. प्रदेस में इस्तेमाल होनेवाले कुल पानी में 80% का इस्तेमाल खेती में होता है. सीएम मनोहर लाल का लक्ष्य है कि बर्ष 2025 तक राज्य में पानी की 50 % तक कमी को पूरा कर लिया जाए. इसके लिए हर साल के लक्ष्य तय किए गए, जिसमे से इस साल का 95 %लक्ष्य पूरा कर लिया गया है. केंद्रिय जल आयोग के बटवारे के मुताबिक यमुना में  हरियाणा को सालाना हिस्सेगदारी 5.730 बीसीएम की है. इसमें से 4. 107 बीसीएम पानी अकेले जुलाई-अक्टूबर के बरसाती मौसम में आता है. नहरो की क्षमता सीमित होने से प्रदेश  अपने हस्से का पूरा पानी नहीं ले पाता. इस समस्या पर सीएम मनोहर लाल ने खासा ध्यान दिया और आपूर्ति बढ़ाने के लिए तीन नई पहल की है.

पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता बढ़ाने पर घर खर्च होंगे तीन हजार करोड़

पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता को 18 हजार क्यूसिक से बढ़ाकर 24 हजार क्यूसिक किया जा रहा है। करीब तीन हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना से नहर की क्षमता में करीब 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पश्चिम यमुना नहर की इस बढ़ी हुई क्षमता का उपयोग मानसून सीजन में यमुना में आने वाले अतिरिक्त पानी के इस्तेमाल के लिए किया जा सकेगा। दूसरी पहल के तहत राजस्थान के साथ हुए ताजा एमओयू में बारिश के अतिरिक्त पानी के इस्तेमाल के लिए चार पाइप लाइनों का निर्माण किया जाएगा। इन भूमिगत पाइपलाइनों में से तीन पाइपलाइन का इस्तेमाल राजस्थान को जलापूर्ति के लिए होगा और एक पाइपलाइन से हरिकगा के तीन जिलों के सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचाया जा सकेगा।

यमुना में 24 हजार क्यूसिक से अधिक पानी बहने पर होगी राजस्थान को आपूर्ति

राजस्थान को इस परियोजना से करीब 126 एमसीएम ( 12.60 करोड क्यूबिक मीटर) पानी मिलेगा। राजस्थान को अतिरिक्त पानी की आपूर्ति पश्चिम यमुना नहर की 24 हजार क्यूसिक की पूरी क्षमता में चलने पर ही होगी। यदि राजस्थान को अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं होगी तो अतिरिक्त पानी का संरक्षण तालाबों में होगा, जिसका इस्तेमाल बाद में सिचाई के लिए किया जा सकेगा।

भूजल रिचार्ज बढ़ाने पर भी सरकार का फोकस

पानी की उपलब्धता को बढ़ाने की तीसरी पहल के तहत भूजल रिचार्ज पर बल दिया जा रहा है। डार्क जोन में आए खंडों में अब तक 907 रिचार्ज वैल का निर्माण कार्य पूरा किया गया है और 231 का कार्य प्रगति पर है। वर्षा जल संचयन के लिए 131 रेन वाटर हार्वेस्टिगय स्ट्रक्चर बनाए गए है, जिससे 286 सरकारी भवनों को जल संचय की सुविधा प्रदान की जा रही है, जिसका कुल क्षेत्र 585 एकड़ है।

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